Thursday, 31 March 2011

सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो की गुलामी नहीं करेगा कल्याण निगम

खाद्य व रसद विभाग के प्रमुख सचिव को लिखी चिट्ठी

कर्मचारी कल्याण निगम सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो का सरकारी अंकुश बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है। वह ब्यूरो से अलग होने के लिए छटपटा रहा है। निगम ने खाद्य एवं रसद विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो से आजाद कर देने की गुहार लगाई है।सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक निगम के अधिशासी निदेशक रमेश चन्द्र मिश्र ने खाद्य एवं रसद विभाग के प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य कर्मचारियों की भलाई के लिए सरकार द्वारा एक स्कीम बनाई गई जिसके तहत स्टाफ वेलफेयर बोर्ड का गठन किया गया था। इस बोर्ड के सभी निदेशक सरकारी अधिकारी हैं। ठीक इसी प्रकार कर्मचारी कल्याण निगम के गठन के समय भी उसे पूर्णत: वित्त पोषित किए जाने का निर्णय लिया गया था। एक ही मद में वेतन भत्तों के भुगतान के कारण भी स्टाफ वेलफेयर बोर्ड व कर्मचारी कल्याण निगम की सेवा शर्तो में भिन्नता की जाती है। यही नहीं निगम और बोर्ड में कर्मचारियों के सेवानिवृत्त की आयु में भी अन्तर है। सभी शर्ते समान होने की स्थिति में सेवा शर्तो में भी एकरूपता होनी चाहिए। प्रमुख सचिव से निगम के प्रति भेदभाव की ओर इशारा करते हुए अधिशासी निदेशक ने कहा कि निगम मानकर ही सेवा शर्तो में अंतर किया गया है। जबकि निगमों का गठन कम्पनीज एक्ट 1956 के तहत किया जाता है। इसमें राज्य सरकार का 51 प्रतिशत हिस्सा होता है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2008 में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित खाद्य एवं रसद विभाग, सार्वजनिक उद्यम विभाग, न्याय विभाग की कमेटी ने यह स्वीकार किया था कि कर्मचारी कल्याण निगम सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो की परिधि में नहीं आता है। 5 अगस्त 2008 को उच्च स्तरीय समिति की बैठक में अधिशासी निदेशक ने निगम की ओर से पक्ष रखते हुए कहा था कि निगम शासन द्वारा पूर्णतया वित्त पोषित है। इसका उद्देश्य सामान्य दर पर कर्मचारियों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराना है। लाभ का उद्देश्य न होने के कारण ही कर्मचारी कल्याण निगम के तहत आने वाले सचिवालय खान-पान को उम ब्यूरो की परिधि से बाहर करने का निर्णय लिया जा चुका है। इसलिए निगम को भी ब्यूरो से अलग किया जाना चाहिए।

उच्च स्तरीय बैठक में सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कर्मचारी कल्याण निगम घाटे में रहता है और इसमें कई वर्षो से बैलेंस शीट नहीं बनाई गई है। जब तक निगम ब्यूरो की परिधि में है तब तक इसके कर्मचारियों को पंचम वेतनमान आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप सुविधाएं नहीं दी जा सकती हैं। ब्यूरो के निदेशक ने कहा कि फिलहाल इस निगम को ब्यूरो की परिधि से बाहर किए जाने में उसे कोई आपत्ति नहीं है। राज्य सरकार निगम को अलग कर सकती है।

समिति में शामिल खाद्य रसद विभाग के प्रमुख सचिव जैकेब थामस, सार्वजनिक उम ब्यूरो के निदेशक जीसी शुक्ल, उप सचिव सीपी सिंह, अपर विधि परामर्शी सुधीर चन्द्र श्रीवास्तव, विशेष सचिव चन्द्र प्रकाश, निगम के अधिशासी निदेशक रमेश चन्द्र मिश्र, मुख्यमंत्री के सचिव कामरान रिजवी व संयुक्त सचिव बी राम शास्त्री ने निगम को ब्यूरो से अलग करने की सहमति जताई थी। मगर आज तक निगम राज्य सरकार के बार-बार गुहार लगाने के बावजूद भी उसे ब्यूरो से मुक्त नहीं किया जा रहा है।

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