Sunday, 13 March 2011

मुख्यमंत्री के जन्मदिन को भी नहीं बख्शा!

मोबाइल मेडिकल योजना में वाहनों की खरीद में घपले का आरोप
मोबाइल मेडिकल योजना में वाहनों की खरीद में घपले का आरोपश्रीप्रकाश तिवारी

यूपी में नौकरशाह जनहित को ठोकर मारने पर तुले हैं। वे गरीबों के लिए चलने वाले मोबाइल मेडिकल वाहनों की खरीद-फरोख्त में भी घपला करने से बाज नहीं आ रहे हैं। परिवार कल्याण विभाग मोबाइल वाहन तीन एनजीओ के नाम खरीदने जा रहा है। पैसा राज्य सरकार खर्च करेगी। यही नहीं, अफसरों ने प्रदेश में मोबाइल मेडिकल योजना के नाम पर मुख्यमंत्री मायावती को भी चकमा दे दिया।

प्रदेश में मोबाइल मेडिकल योजना में इस गड़बड़झाले का पूरा माजरा टेंडर डालने वाले फिरोज पटेल द्वारा ही परिवार कल्याण निदेशक को दिए आरटीआई के तहत आवेदन में सामने आया है। आवेदन में शिकायत की गई है कि मोबाइल मेडिकल वाहन की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया में फाइनेंसियल बिडिंग का प्रारूप इस तरह से तैयार किया गया है कि जिससे सिर्फ तीन एनजीओ को टेंडर दिलाया जा सके। ये एनजीओ हैं दिल्ली के अंबिका शर्मा की ‘जागरण सॉल्यूशन’, पूर्व भाजपा सांसद डॉ. जेके जैन की ‘जैन वीडियो आन विल’ और अमित गर्ग की ‘कैम्प संस्था’ जो मध्य प्रदेश की है। फिरोज ने कहा कि ठेका प्राप्त करने वाली तीनों एनजीओ में से पहले वाले ने प्रति मोबाइल वाहन का कोटेशन 16 लाख रुपए का दिया है और वह 36 वाहन खरीदेगा। दूसरे ने 36 लाख रुपए का रेट दिया है जो 59 वाहन खरीदेगा और तीसरे ने भी तकरीबन 35 लाख रुपए प्रति वाहन का रेट अपने टेंडर में दिया है। इसमें डेढ़ से दो लाख रुपए के इक्वीपमेंट शामिल हैं। टेंडर शर्तो में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत चयनित आशा लिंक वर्करों को भुगतान करने का अधिकार भी निजी कंपनियों को दे दिया गया है। मोबाइल मेडिकल योजना में सिर्फ 15 जिले ही चयनित हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि परिवार कल्याण विभाग के अफसरों ने मुख्यमंत्री को भी नहीं बख्शा। शिकायतकर्ता ने बताया कि मायावती के जन्मदिन पर दिल्ली के एनजीओ ने बिहार में गरीबों की सेवा में लगा मोबाइल वाहन मंगवाया। उस पर मायावती का पोस्टर चिपकाया। फिर मुख्यमंत्री का पोस्टर हटाकर वापस बिहार रवाना कर दिया। मोबाइल मेडिकल यूनिट योजना में भ्रष्टाचार की शिकायत के संबंध में डीएनए ने महानिदेशक उषा नरायन के मोबाइल नं. 9415742424 पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इस संबंध में विभागीय प्रमुख सचिव प्रदीप शुक्ला से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि दफ्तर में आइए तभी बात हो पाएगी। शिकायतकर्ता का कहना है कि 150 मोबाइल मेडिकल वाहन खरीदने के लिए तीनों एनजीओ विभागीय अफसरों से मिलकर सरकार को चूना लगाने की फिराक में हैं।

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