Wednesday 3 August 2011

भ्रष्टाचार के भी सर्वेसर्वा हैं कैबिनेट सचिव!

सूचना न देने पर नागरिक उड्डयन के जनसूचना अधिकारी को जुर्माना
हवाई जहाज व हेलीकॉप्टरों की खरीद फरोख्त में भ्रष्टाचार का आरोप
 
नागरिक उड्डयन विभाग के सलाहकार एवं राज्य कैबिनेट सचिव शशांक शेखर की सलाह से विभाग के नित-नए भ्रष्टाचार की उड़ान भरने की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। भ्रष्टाचार के नाम पर चुप्पी साधने वाला नागरिक उड्डयन विभाग पता नहीं किससे डर रहा है कि वह आरटीआई से भी पीछा छुड़ाने में लगा हुआ है। अगर ऐसा न होता तो विभाग हवाई जहाज व हेलीकॉप्टर के क्रय और विक्रय में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों के निस्तारण के लिए गठित की गई उच्च समिति के पदाधिकारियों का कम से कम नाम तो बता ही देता। मगर विभाग में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है कि कैबिनेट सेकेट्रेरी साहब कहने को तो नागरिक उड्डयन विभाग के न सिर्फ कथित तौर पर सलाहकार हैं बल्कि वे ही सर्वेसर्वा हैं। भ्रष्टाचार की उड़ान धीमी न पड़े शायद इसीलिए 25 मार्च वर्ष 2008 में राज्यपाल द्वारा विभाग की परिचालन तथा अनुरक्षण, सुरक्षा एवं सामान्य प्रशासन इकाई समेत तमाम चीजों को आरटीआई के चंगुल से बाहर करने का अजीबोगरीब नाटक रचा गया।

सबसे दिलचस्प बात तो यह है कि जिस कैबिनेट सेक्रेटरी साहब के इशारे पर नागरिक उड्डयन विभाग को आरटीआई के दायरे से अलग हटा दिया गया, मौजूदा सरकार के पसंदीदा अफसर रहे और अब राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह पंकज ने ही नागरिक उड्डयन विभाग के नाटक पर पानी फेर दिया है। पंकज ने विभाग के तमाम भ्रष्टाचार सम्बंधी मांगी गई सूचना न देने पर नागरिक उड्डयन विभाग के जनसूचना अधिकारी नुजहत अली को 25 हजार जुर्माना दिए जाने का नोटिस जारी कर दिया है। उल्लेखनीय है कि लखनऊ स्थित एलडीए कालोनी कानपुर रोड निवासी देवेन्द्र कुमार दीक्षित ने नागरिक उड्डयन विभाग के प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में यह कह कर हड़कम्प मचा दिया है कि नागरिक उड्डयन निदेशालय, लखनऊ एयरपोर्ट में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार व्याप्त है एवं देशद्रोही गतिविधियों के संचालन से सम्बंधित सूचनाएं न दिए जाने के षड्यंत्र की जांच कराई जाय।

गौरतलब है कि विभागीय प्रमुख सचिव के जनसूचना अधिकारी से श्री दीक्षित द्वारा जो सूचनाएं मांगी गई हैं उनका जवाब न देना तथा सूचना आयोग द्वारा जनसूचना अधिकारी को 25 हजार रुपए की नोटिस बतौर जुर्माने का आदेश देना, ने पूरे के पूरे नागरिक उड्डयन महकमे को कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है। श्री दीक्षित ने विभाग से पहली जनवरी 2007 से 31 जुलाई 2010 के बीच त्याग पत्र देने वाले अथवा वीआरएस लेने वाले पायलट के नाम, हवाई जहाज व हेलीकॉप्टर के खरीद के लिए स्वीकृत धन, आहरित धनराशि, बेचे गए हवाई जहाज व हेलीकॉप्टर की संख्या, बेचने का कारण, बेचने में अपनाई गई प्रक्रिया, यूपी सरकार के अधीन हवाई पट्टियों के निर्माण, रख-रखाव के लिए स्वीकृत धन, लखनऊ एयरपोर्ट के पास उपलब्ध वाहनों की संख्या, हवाई जहाज एवं हेलीकॉप्टरों के रख-रखाव पर प्रति वर्ष किए गए खर्च, राजकीय नागरिक उड्डयन विभाग के हिन्द नगर लखनऊ स्थित आवासीय कालोनी के अनुरक्षण तथा रख-रखाव के लिए स्वीकृत धनराशि, हवाई जहाज व हेलीकॉप्टर के क्रय तथा विक्रय में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों के सम्बंध में गठित कमेटी के अध्यक्ष व अन्य के नाम के साथ कोऑपरेटिव हिन्दी फ्लाइंग क्लब, लखनऊ एयरपोर्ट के वायुयानों व हेलीकॉप्टर के नीलामी से प्राप्त धन के विवरण तथा उस धन को रखे जाने वाले बैंक खाते की संख्या सहित बैंक शाखा का नाम बताए जाने की सूचना मांगी है।

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