यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर गुटखा निर्माता कम्पनियों को सर्टीफिकेट बांटते फिर रहे हैं कि वे निर्दोष हैं और प्रदेश के पर्यावरण को कोई क्षति नहीं पहुंचा रहे हैं। कमीशनखोर अफसर कैंसर जैसी घातक बीमारियों के जरिए मौत बाट रहे गुटखा निर्माताओं की पीठ थपथपाने में लगे हैं और कह रहे हैं कि प्रदेश में श्याम बहार, पुकार, राजश्री, कमला पसंद व हरसिंगार गुटखा की फैक्ट्री ही नहीं है जबकि राजधानी में ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नाक केनीचे फैक्ट्रियां चल रही हैं। अधिवक्ता एसपी मिश्र द्वारा आरटीआई के तहत मांगी गई सूचनाओं के विपरीत यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गुटखा निर्माताओं की भाषा में जो जवाब दिया है वह अफसरों की सांठगांठ की ओर इशारा करता है।
श्री मिश्र ने बोर्ड से पूछा कि राजश्री, कमला पसंद, श्याम बहार, हर सिंगार आदि की प्रदेश में कुल फैक्ट्रियों की संख्या, बीते तीन वर्षो में दिए गए अनापत्ति प्रमाण पत्र, पान मसाला कम्पनी की मशीनों व पैकिंग रेपर के प्रदूषण मानकों का पालन करने की नियमावली, बोर्ड द्वारा समय-समय पर की गई कार्रवाई की जानकारी दें। यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बड़ी चतुराई के साथ इस विवाद से पीछा छुड़ाते हुए क्षेत्रीय इकाइयों पर जवाब देने की जिम्मेदारी थोप दी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड बरेली के क्षेत्रीय अधिकारी अनिल कुमार चौधरी ने जवाब दिया कि उनके जिले में कोई भी गुटखा व पान मसाला की फैक्ट्री नहीं है। बुलंदशहर बोर्ड ने भी जवाब में ना कहा। मिर्जापुर के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने कहा कि गुटखा की कोई फैक्ट्री नहीं है। वाराणसी के क्षेत्रीय अधिकारी एसबी सिंह ने कहा पान मसाले का कोई भी उद्योग चिन्हित नहीं है। मेरठ के क्षेत्रीय अधिकारी विवेक राय ने बताया कि गुटखा कम्पनी के नाम से कोई उद्योग मेरठ के अभिलेखों में नहीं है। मुजफ्फरनगर के क्षेत्रीय अधिकारी एके तिवारी ने कहा कि गुटखा उत्पादन करने वाला कोई भी उद्योग कार्यरत नहीं है। सहारनपुर का भी चार्ज देख रहे श्री तिवारी ने कहा कि यहां भी कोई फैक्ट्री नहीं है। मगर लखनऊ की क्षेत्रीय इकाई ने थोड़ा साहस दिखाते हुए कहा है कि श्याम बहार को अनापत्ति प्रमाण पत्र दिया गया है। गुटखा की मशीनों व पैकिंग रेपर के प्रदूषण सम्बंधी कोई मानक नहीं है।
इसके साथ ही लखनऊ के क्षेत्रीय अधिकारी एसके सिंह ने बताया कि पर्यावरणीय प्रदूषण के तहत अधिनियमों के अनुसार अनापत्ति प्रमाण पत्र उद्योग स्थापना से पूर्व प्रस्तावित स्थल प्राप्त किए जाने का प्राविधान है। इसी तरह उन्नाव, आगरा, कानपुर, रमाबाई नगर, झांसी, मथुरा, मुरादाबाद, बिजनोर और गाजियाबाद समेत प्रदेशभर में कहीं भी पान मसाला की फैक्ट्रियां नहीं हैं। अब सवाल यह उठता है कि अगर फैक्ट्रियां नहीं हैं क्या ये प्रदेश के बाहर से आ रहे हैं? जबकि स्थिति यह है कि लखनऊ स्थित तालकटोर इंडस्ट्रियल एरिया, अमौसी, राजाजीपुरम आदि इलाकों में गुटखा फैक्ट्रियां हैं। दूसरे, गुटखा निर्माता मसालों के पाउच पर उत्पादन स्थल का कोई जिक्र नहीं है।
No comments:
Post a Comment