Tuesday 29 March 2011

ईमानदारी दिखाई तो नौकरी गंवाई!


चन्द्रशेखर आजाद कृषि विवि के रिसर्च इंजीनियर ने की थी यह खता


यूपी के विश्वविद्यालयों में भी भ्रष्टाचार की जड़ें काफी मजबूती के साथ पैठ बना चुकी हैं। मंत्रियों व ऊंचे ओहदों पर बैठे अफसरों के जरिए बनने वाले  विश्वविद्यालयों के कुलपति शैक्षिक माहौल बनाने के बजाय लूट-खसोट करना अपनी बपौती मान बैठते हैं। शहीदे आजम चन्द्रशेखर आजाद के नाम पर कानपुर में स्थापित कृषि विश्वविालय में तत्कालीन कुलपति डॉ. एसबी सिंह के खिलाफ विवि के ही रिसर्च इंजीनियर टीसी मिश्र ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए तो प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव अंखड प्रताप सिंह ने उन्हें ही विवि की सेवा से बाहर करवा दिया और अंततोगत्वा कहीं से न्याय भी नहीं मिलने दिया। चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार का यह मामला आरटीआई के जरिए प्रकाश में आया है। वर्ष 2007 में विवि के रिसर्च इंजीनियर टीसी मिश्र ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि तत्कालीन कुलपति डॉ. एसबी सिंह ने मुख्य कार्मिक अधिकारी डॉ. डीएन शर्मा व अधिष्ठाता डॉ. केडी उपाध्याय के जरिए भ्रष्टाचार की झड़ी लगा दी। कुलपति ने इन अधिकारियों को पुरस्कार में इनके पुत्रों को अवैध तरीके से विवि में नियुक्त कर दिया। श्री मिश्र ने कहा कि मुख्य कार्मिक अधिकारी डॉ. डीएन शर्मा के पुत्र संजीव शर्मा का विषय वस्तु विशेषज्ञ पद के लिए साक्षात्कार पत्र एवं नियुक्ति आदेश डॉ. शर्मा के हस्ताक्षर से जारी किया जाना इस आरोप की पुष्टि करता है कि इस पूरी चयन प्रक्रिया में नैतिकता के सभी मापदंडों को तिलांजलि दे दी गई। विश्वविद्यालय द्वारा निकाले गए विज्ञापन में कम्प्यूटर प्रोग्रामर के पद भी विज्ञापित किए गए थे। बीटेक (कम्प्यूटर साइंस) व एमएससी योग्यताधारी किसी अभ्यर्थी को इस पद के उपयुक्त नहीं पाया गया। जिस कारण पूर्व निर्धारित योग्यता को शिथिल कर दूसरे विज्ञापन प्रकाशित किए गए। रिसर्च इंजीनियर ने अपने आरोपों में कहा कि डॉ. केडी उपाध्याय के लड़के कैलाश उपाध्याय की कम्प्यूटर प्रोग्रामर पर की गई नियुक्ति भी अवैध है। उनका कम्प्यूटर प्रशिक्षण सम्बंधी प्रमाण पत्र वास्तविक नहीं है। कैलाश का पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा सम्बंधी प्रमाण पत्र फर्जी है एवं वर्ष 2002 के बाद जालसाजी के माध्यम से प्राप्त किया गया है। इसी प्रकार कम्प्यूटर प्रोग्रामर पद पर नियुक्त किए गए अविनाश कुमार एवं राहुल देव के भी पोस्ट ग्रैजुएट के प्रमाण पत्र जालसाजी द्वारा तैयार किए गए प्रतीत होते हैं जिस कारण इनकी भी नियुक्ति अवैध है। मिस विदुषी कटियार की भी कम्प्यूटर प्रोग्रामर पद पर नियुक्ति की गई है। इनके पास कम्प्यूटर डिप्लोमा प्रमाण पत्र है जबकि वांछित योग्यता पोस्ट ग्रैजुएट डिप्लोमा है। वहीं विवि ने अपने एक आदेश के जरिए कृषि ज्ञान केंद्रों पर नियुक्त किए गए 12 लोगों को कानपुर मुख्यालय बुला लिया है जिनमें कम्प्यूटर प्रोग्रामर पद पर नियुक्त सभी अभ्यर्थी शामिल हैं जबकि इनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है। रिसर्च इंजीनियर के आरोपों पर विशेष सचिव धीरज साहू ने आरटीआई के तहत पूछे गए सवालों को लेकर चन्द्रशेखर आजाद कृषि विवि के कुलपति से स्पष्टीकरण मांगा और कहा कि संजीव शर्मा के साक्षात्कार बोर्ड में उनके पिता डीएन शर्मा भी सदस्य या अध्यक्ष थे? अभ्यर्थियों द्वारा जिन संस्थाओं का पीजीडीसीए का प्रमाण पत्र दिया है, क्या वह संस्थाएं यह कोर्स चलाने के लिए सक्षम हैं? अब यह मामला सूचना आयोग पहुंच चुका है।

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