बाहुबलियों ने एनजीओ के जरिए पैसा कमाने का शुरू किया नया धंधा
जिला कोऑर्डिनेटर को एनजीओ के बारे में जानकारी नहीं
जिला कोऑर्डिनेटर को एनजीओ के बारे में जानकारी नहीं
चौंकिए नहीं! चर्चा यही है। बिहार के बाहुबली और माफिया पूर्वाचल में महिला सशक्तीकरण अभियान के नाम पर 15 रुपए में महिलाओं को ममता बनर्जी और जयललिता बनाने का सब्जबाग दिखा रहे हैं। वे महिलाओं में राजनीतिक, कानूनी और लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े अधिकारों के खयाली पुलाव पका रहे हैं। उनके निशाने पर हैं पूर्वाचल की कम पढ़ी-लिखी तथा शिक्षित बेरोजगार महिलाएं।
पता चला है कि जौनपुर में एनजीओ के कर्ताधर्ताओं ने लाखों महिलाओं को अपनी झूठी और फरेबी बातों से आत्म निर्भर व सशक्त बनाने के बहाने उनसे 15-15 रुपए वसूले और फरार हो गए। जिले के हेडक्वार्टर से लेकर न्याय पंचायत स्तर तक सर्वेयर नियुक्त कर महिलाओं से फार्म भरवाए और 15 रुपए के बदले में उन्हें महिला आरक्षण, घरेलू हिंसा, दहेज प्रथा तथा ब्यूटी टिप्स की हैंडबुक बांट कर चलते बने। दरअसल बिहार में मुख्यमंत्री नितीश कुमार द्वारा शिकंजा कसने से घबराए बड़े-बड़े बाहुबली और माफियाओं ने एनजीओ के जरिए पैसा कमाने का धंधा शुरू किया है। उन्होंने पूर्वाचल के पिछड़े जिलों को अपना निशाना बनाया है जहां केन्द्र व राज्य सरकार विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं पर अरबों खर्च कर रही है। ये योजनाएं ज्यादातर एनजीओ के जरिए ही संचालित होती हैं। पिछले चार महीनों में महिला सशक्तीकरण अभियान के तहत जौनपुर, वाराणसी, गाजीपुर, मिर्जापुर समेत अनेक जिलों में महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वालम्बी बनाने के लिए एक-एक न्यायपंचायत से हजारों की तादात में बेरोजगार महिलाओं से लाखों रुपए वसूल कर एनजीओ के मुख्य कर्ता-धर्ताओं के फरार होने की शिकायतें आई हैं।
बिहार की जो एनजीओ पूर्वाचल में महिलाओं को सशक्त बनाने के बदले लाखों रुपए वसूल कर चम्पत हो गई, उसकी सत्यता जानने के लिए डीएनए संवाददाता ने जौनपुर जनपद स्थित सुजानगंज ब्लॉक के विभिन्न गांवों में जा कर पड़ताल की तो पता चला कि एनजीओ ने जिले में जिन्हें अपना सर्वेयर नियुक्त किया था वे भी अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। बसरही न्याय पंचायत की श्रीमती रागिनी तिवारी को एनजीओ ने सर्वेयर नियुक्त किया था। उन्होंने बताया कि इच्छुक महिलाओं से तकरीबन पांच महीने पहले 15-15 रुपए लेकर फार्म भरवाए गए थे। सिर्फ बसरही न्याय पंचायत में 800 महिलाओं ने 15 रुपए देकर फार्म भरे थे। रागिनी ने बताया कि ये पैसा ब्लाक स्तर के कोऑर्डिनेटर के जरिए जिला कोऑर्डिनेटर व मंडल स्तर के कोऑर्डिनेटर तक गया था। एनजीओ ने इसके बदले महिलाओं को स्वालम्बी बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण चलाए जाने तथा सिलाई-कढ़ाई व अन्य प्रकार की मशीनें मुफ्त देने की बात कही थी। लेकिन पैसा लेने के बाद आज तक कोई दिखाई नहीं पड़ा।
डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट ने जौनपुर जिले के एनजीओ के जिला कोऑर्डिनेटर पदमनाथ दुबे के मोबाइल नम्बर 9450508127 पर सम्पर्क किया तो उसके भाई ने फोन उठाया और बात करने पर सारी सच्चाई उगल कर रख दी। उसने बताया कि एनजीओ द्वारा महिला सशक्तीकरण का अभियान बहुत पहले ही बंद हो गया है। हम तो इसमें नौकरी करते हैं। एनजीओ का संचालक बिहार का अंगद पांडेय है। अभी हम लोगों ने अंगद के खिलाफ 10-12 दिन पहले लीगल नोटिस भिजवाया है। वह मेरे भी चार लाख रुपए लेकर फरार हो गया है। इसके ठीक विपरीत पदमनाथ दुबे ने डीएनए संवाददाता को सायं चार बजकर 26 मिनट और 36 सेकेंड पर फोन कर अपने भाई द्वारा एनजीओ के विरुद्ध लगाए आरोपों को डर के मारे मानने से इनकार कर दिया।
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