Monday, 7 March 2011

डीजी हेल्थ से जुर्माना वसूलेंगे डीएम


चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक और जनसूचना अधिकारी पर 25 हजार का दंड
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक और जनसूचना अधिकारी पर 25 हजार का दंड
यूपी में बड़े अफसर सूचना के कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उन पर सूचना आयोग की चेतावनी का भी असर नहीं पड़ता है। आयोग ने सेवानिवृत्त स्वास्थ्य निरीक्षक की पेंशन के एक मामले में प्रदेश के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा महानिदेशक को कानून के उल्लंघन का दोषी ठहराते हुए 25 हजार रुपए का जुर्माना ठोंका है। इसके साथ ही आयोग ने लखनऊ के जिलाधिकारी को यह आदेश दिया है कि वे चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक से जुर्माना वसूल कर ट्रेजरी में जमा कराएं और इसकी सूचना आयोग को दें।

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घोसी मऊ के राजेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव ने मुख्य सूचना आयुक्त को लिखे पत्र में कहा कि वह वर्ष 2004 से सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। वह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घोसी में स्वास्थ्य निरीक्षक के पद पर कार्यरत था और यहीं से फरवरी 2004 में सेवानिवृत्त हुआ। उसका वेतनमान शासनादेश के अनुसार 5500-9000 रुपये मुख्य चिकित्साधिकारी मऊ से स्वीकृत था। सेवानिवृत्ति के बाद इस वेतन क्रम में पेंशन स्वीकृति के लिए पेंशन निदेशालय वाराणसी को भेजा था। मगर वहां से लौटाते हुए यह कहा गया कि यह वेतनमान गलत है और आप 5000-8000 रुपए वेतनमान के तहत आते हैं। जबकि अन्य स्वास्थ्य निरीक्षक 5500-9000 वेतनमान के आधार पर पेंशन प्राप्त कर रहे हैं।

हर स्तर पर निराश वादी ने सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। इस मामले में आयोग ने महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य कार्यालय के जनसूचना अधिकारी पर 25 हजार रुपए का जुर्माना ठोंका और लखनऊ के जिलाधिकारी से दंड की राशि वसूल कर ट्रेजरी में जमा कराने के निर्देश दिए। इसके साथ ही आयोग ने महानिदेशक को भी चेतावनी दी थी कि वह वादी को एक माह के भीतर सूचनाएं उपलब्ध करा दें अन्यथा उन्हें जनसूचना अधिकारी घोषित करते हुए उनके विरुद्ध भी जुर्माना किया जाएगा। इसके बावजूद महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के सूचना नहीं देने पर राज्य सूचना आयुक्त वीके सक्सेना ने उन्हें जनसूचना अधिकारी घोषित करते हुए उन पर साशय सूचना न देने के आरोप में 25 हजार रुपए जुर्माना किए जाने का आदेश पारित किया है। आयोग ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि वह महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से आर्थिक दंड की धनराशि वसूल कर ट्रेजरी में जमा कराएं। इसकी सूचना राज्य सूचना आयोग को प्रेषित करें।

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