Monday, 7 March 2011

फेल हो गया सरकार का सूचना तंत्र

मुख्यमंत्री के आदेशों का मखौल, 5 हजार से अधिक की आबादी वाली ग्राम पंचायतों की जानकारी नहीं

सरकार का सूचना तंत्र और सरकारी मशीनरी इस कदर फेल हो गई है कि उसे यह नहीं मालूम कि यूपी में पांच हजार व 10 हजार से अधिक कितनी ग्राम पंचायतें हैं? उधर मुख्यमंत्री मायावती ने अपने जन्मदिन पर यह घोषणा की थी कि सरकारी सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्र में सुलभ कराने के लिए ग्राम पंचायत सचिवालयों का निर्माण किया जाएगा। मगर जब पंचायतीराज विभाग के पास बड़ी-बड़ी आबादी वाली ग्राम पंचायतों की जानकारी तक नहीं है तो उसके लिए पंचायत सचिवालय बनाना ही बड़ा मुश्किल हो जाएगा।

पंचायतीराज विभाग ने मुख्यमंत्री मायावती के आदेश का ही मखौल बना कर रख दिया है। मैडम ने अपने जन्मदिन 15 जनवरी को यह एलान किया था कि विकास योजनाओं तथा सरकारी सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्र की जनता तक सुलभ कराने के उद्देश्य से ग्राम पंचायत सचिवालयों की स्थापना सभी पंचायतों में चरणबद्ध तरीके से की जाएगी। प्रथम चरण में अगले एक वर्ष में पांच हजार से अधिक जनसंख्या वाली ग्राम पंचायतों में सचिवालय प्रारम्भ कर दिए जाएंगे। इन ग्राम पंचायत सचिवालयों में विभिन्न विभागों के ग्राम स्तर के कर्मचारी निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार नियमित रूप से मौजूद रहकर ग्रामीण जनता को अपने विभागों से सम्बंधित सेवाएं उपलब्ध कराएंगे। मुख्यमंत्री की घोषणा के तकरीबन एक महीने बाद पंचायतीराज विभाग के सचिव आलोक कुमार ने प्रदेश के सभी जिला पंचायतराज अधिकारियों को पत्र लिखकर पांच हजार से अधिक आबादी वाली ग्राम पंचायतों की जानकारी इकट्ठी करनी शुरू की। सरकारी सूत्र बताते हैं कि अभी तक यह नहीं पता चल पाया है कि प्रदेश में ऐसी कितनी ग्राम पंचायतें हैं जिनकी आबादी पांच हजार व 10 हजार से अधिक हैं। इन दिनों पूरा विभाग ऐसी पंचायतों को ढूंढ़ने में लगा है।

पता चला है कि पंचायतीराज निदेशक ने जिला पंचायतराज अधिकारियों को एक प्रारूप पत्र भी भेजा था जिसमें ग्राम पंचायतें जिनमें पंचायत भवन नहीं हैं, ग्राम पंचायतें जिनमें पंचायत भवन हैं किंतु जीर्ण-शीर्ण हैं, मरम्मत योग्य नहीं हैं उन्हें नए सिरे से बनाने होंगे। ग्राम पंचायतें जिनमें पंचायत भवन हैं जिन्हें मरम्मत कर प्रयोग योग्य किया जा सकता है। पंचायत भवन जिनमें मात्र एक कक्ष तथा सभा कक्ष है। पंचायत भवन जिनमें मात्र एक कक्ष है किंतु सभा कक्ष नहीं है या फिर पंचायत भवन जिनमें मात्र सभा कक्ष है किंतु कक्ष नहीं है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि दरअसल ज्यादातर ग्राम पंचायतों में पंचायतभवन नहीं हैं। लखनऊ में बैठे अफसर इतने सारे विकल्प देकर जिलों के अधिकारियों को उलझाने में लगे हैं ताकि वे इसी में परेशान रहें तथा पंचायत भवनों पर मिलने वाले अरबों रुपयों को वे अपने तरीके से खर्च करें। शासन में बैठे अफसरों के इन मंसूबे से न तो पंचायत भवनों की जानकारी मिल पा रही है और न ही पंचायत सचिवालय बनाने की दिशा में मुख्यमंत्री के आदेश का अभी तक कोई पालन ही किया गया है।

सरकारी सूत्र बताते हैं कि अकेले मेरठ में पांच हजार से अधिक आबादी वाली दर्जनों ग्राम पंचायतें हैं। इस जिले में दतावली ग्राम पंचायत की आबादी 5965, जानीबुजुर्ग ग्राम पंचायत की 5873, पांचलीखुर्द की 6593, हर्रा 14772, सौदत्त की 7038, खेडा 6100, रोहटा 10050, इंचौली 12094, किनानगर 6813, कमालपुर 5364 सहित 22 ग्राम पंचायतों की आबादी पांच हजार से अधिक है। पांच हजार से अधिक की आबादी वाली ग्राम पंचायतों की नहीं मिल रही सूचना पर निदेशक डीएस श्रीवास्तव से जब डीएनए ने पूछा तो उन्होंने शासन की बैठक में व्यस्त होने का बहाना बताकर जवाब देने से टालमटोल कर गए।

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