Wednesday 16 March 2011

एक परसेंट आरक्षण तो दे ही देते सर!


सरकारी मशीनरी चलाने वाले जिम्मेदार अफसर अपने बनाए नियम और कानूनों का ही पालन नहीं करते हैं। प्रमुख सचिव समेत तमाम बड़े अफसरों ने बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक विालयों के सहायक शिक्षकों के लिए विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण की भर्ती में विकलांगजनों का हक ही मार दिया। खासकर अल्पदृष्टि वर्ग के सैकड़ों अभ्यर्थियों को कानूनन एक प्रतिशत आरक्षण देने की जहमत भी नहीं उठाई। अफसरों ने चतुराई पूवर्क तीनों श्रेणी के विकलांगजनों को अलग-अलग वर्ग मानकर सामूहिक रूप से तीन प्रतिशत आरक्षण उनकी भर्ती में लागू कर दिया।

विकलांगों के हक पर डाका, विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण भर्ती में अफसरों ने खेला खेल
दरअसल यह खेल पूर्ववर्ती सपा सरकार के कार्यकाल के दौरान वर्ष 2004 में खेला गया। आरटीआई के तहत यह मामला सूचना आयोग तक जा पहुंचा है। धन्नाखेड़ा उन्नाव निवासी विवुधेश कुमार यादव ने तत्कालीन मुख्य सचिव को लिखे पत्र में यह शिकायत की थी कि बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद द्वारा संचालित प्राथमिक विालयों के सहायक शिक्षक पद की योग्यता के लिए विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2004 की भर्ती में अधिनियम का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन किया गया। विकलांगजनों को एक प्रतिशत भी आरक्षण न देने के खेल में प्रमुख सचिव शिक्षा, सचिव बेसिक शिक्षा, सचिव कार्मिक, आयुक्त विकलांगजन तथा निदेशक राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद निशातगंज शामिल थे। मालूम हो कि यूपी लोकसेवा शारीरिक रूप से विकलांग, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रित और भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण संशोधन अधिनियम 1997 की धारा 2 (1) (2) व उप धारा (1) के प्रावधानों को राज्य की लोक सेवाओं एवं पदों की, विशेषकर विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2004 की भर्ती में अनदेखी की गई। मूलत: अधिनियम के अनुसार रिक्तियों का एक प्रतिशत आरक्षण दृष्टिहीन या अल्पदृष्टि, श्रवण ह्रास तथा चलन क्रिया सम्बंधी नि:शक्तता या प्रमष्तिस्की अंग घात वाले लोगों को देना चाहिए। मगर विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षण 2004 के लिए मई के अंतिम सप्ताह में घोषित 41450 अभ्यर्थियों की मेरिट सूची बनाने में अधिनियम व शासनादेशों का पालन नहीं किया गया। तीनों श्रेणियों के विकलांगजनों को अलग-अलग वर्ग मानकर प्रत्येक को रिक्तियों का एक प्रतिशत आरक्षण न प्रदान कर तीनों श्रेणियों के विकलांगजनों को एक ही वर्ग मानकर आरक्षण का लाभ दिया गया। 7 मई 2004 को 31461 अभ्यर्थियों की अंतिम सूची जारी की गई और 2004 से प्रशिक्षण प्रारम्भ हो गया। इस प्रकार सैकड़ों अल्पदृष्टि विकलांगजनों का हक मारा गया। इस ममाले में वादी विवुधेश ने बेसिक शिक्षा विभाग के जनसूचना अधिकारी व प्रथम अपीलीय अधिकारी से यह जानकारी मांगी है कि जिन बड़े-बड़े अफसरों ने कानून का उल्लंघन किया है, विकलांगों के हक पर डाका डाला है, उनके खिलाफ क्या कार्यवाई की जाएगी? शिकायतकर्ता के किसी सवाल का जवाब बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े न तो जनसूचना अधिकारी और न ही प्रथम अपीलीय अधिकारी ने दिया है। वह पिछले छह सालों से इंसाफ मांग रहा है। उसने अब राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया है।

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