Tuesday, 30 August 2011

यूपी है! यहां आबरू किसी की भी लुट जाए

भ्रष्टाचार के साथ अपराधों ने भी राज किए चार साल




लखनऊ। यूपी में बसपा सरकार की स्थापना के साथ ही अपराध और भ्रष्टाचार की वापसी भी बड़े जोर-शोर से शुरू हुई जो आज भी उतने वेग से बदस्तूर जारी है। सूबे की मुखिया और बसपा नेत्री मायावती के सरकारी कारिंदे भ्रष्टाचार व अपराध के आंकड़ों पर पर्दा डालते रहे तो ये दोनों सरकार के लिए सिर दर्द बनते गए। कानून व्यवस्था के नाम पर विरोधी दलों को चित कर सत्ता में प्रतिष्ठित हुईं माया मैडम के राज में अपहरण, बलात्कार, लूट, हत्या, डकैती और छिनैती की घटनाओं ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। चार साल तक प्रदेश के हर कोने में पुलिस और प्रशासन की नाकामियां तथा बसपा सरकार व संगठन के नुमाइंदों ने अराजकता का विशाल अखंड राज स्थापित किया।

बसपा के विरोधियों ने जब-जब सूबे में बढ़ते अपराध को लेकर सरकार पर हमला बोला तब-तब सरकारी कारिदों ने कांग्रेस और भाजपा शासित वाले राज्यों के आंकड़े दिखाकर बसपाइयों के दामन पर लग रहे खून के घब्बों को धोने की खूब कसरतें कीं। हालांकि समय-समय पर पुलिस और प्रशासनिक अफसरों को इसकी बख्शीश भी मिलती रही। दरअसल अपराध के आंकड़ों से जवाब देने वाली सरकार आंकड़ों में हीआंकड़ों के ही अनुसार कुछ अन्य संगीन अपराधों सहित कुल भारतीय दंड विधान के तहत 2008 में 161082, 2009 में 160875 तथा 2010 में 159796 प्रकरण दर्ज किए गए। राष्ट्रीय मानवाधिकार द्वारा जो रिपोर्ट केन्द्र को भेजी गई है उसमें फर्जी इनकाउंटर के 2006-07 में 82, 2007-08 में 48, 2008-09 में 41 तथा 2009-10 में माह जुलाई तक 11 फर्जी इंनकाउंटर के मामले सामने आए हैं। इन आंकड़ों के साथ ही साथ सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाली वे घटनाएं भी हैं जो एक महिला मुख्यमंत्री के राज में पूरे प्रदेश को शर्मशार करती हैं। इनमें वही लिप्त पाए गए जो सर्वजन सुखाय का नारा देकर सत्ता हासिल किए हैं। महिलाओं की आबरू बचाने में नाकारा साबित हुई। सामूहिक बलात्कार के घटनाओं की जैसी झड़ी सी लग गई। थानों में बलात्कार हुए। यहां तक कि दलित महिलाएं और बच्चियां निशाना बनाई गईं। लखीमपुर खीरी में 10 जून 2011 को 14 वर्षीय सोनम से पुलिस कर्मियों ने दुराचार की कोशिश की और हत्या कर दी। 11 जून 2011 को बाराबंकी के थाना घुंघटेर में पांच वर्षीय सविता की हत्या कर दी गई। उसकी किडनी तक निकाली गई। 17 जून 2011 को गोंडा के करनैलगंज निवासी राजेश की 15 वर्षीय पुत्री की बलात्कार के बाद हत्या की गई। 17 जून को ही कानपुर में एक नाबालिग लड़की के साथ सामूहिक बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी गई।

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