Sunday, 27 March 2011

लोकायुक्त की तत्परता से सरकार परेशान

हरगांव नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मुख्य सचिव को प्रत्यावेदन

लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा भ्रष्टाचार की शिकायतों पर तत्परता से जांच ही नहीं करते बल्कि कार्रवाई के लिए शासन को भी तुरंत लिखते हैं। भ्रष्टाचार में आरोपित मंत्रियों के बाद लोकायुक्त ने अब पंचायतों में आ रही भ्रष्टाचार की शिकायतों की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सरकार को लगातार प्रत्यावेदन भेज रहे हैं। लाखों रुपयों के सरकारी धन के दुरुपयोग संबंधी एक मामले में उन्होंने सीतापुर जिले के हरगांव नगर पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ मुख्य सचिव को प्रत्यावेदन भेज कर सख्त कार्रवाई की संस्तुति की है।

न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा के भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम से राज्य सरकार निश्चित रूप से सकते में हैं। शायद इसीलिए लोकायुक्त द्वारा भेजे प्रत्यावेदनों पर बमुश्किल कार्रवाई की औपचारिकता पूरी की जाती है। सीतापुर जिले के हरगांव नगर पंचायत अध्यक्ष ने 15 सफाई कर्मियों की नियम विरुद्ध नियुक्तियां ही नहीं की बल्कि सात महीने का वेतन भी आहरित करवा लिया। विुत उपकरण खरीद के नाम पर लाखों रुपए डकार गए। कमीशनखोरी के चक्कर में नगर पंचायत अध्यक्ष ने विुत उपकरणों की खरीद संबंधित निविदा दो दिन पहले ही खोल दी। शिकायतकर्ता संकट मोचन मिश्र ने नगर पंचायत अध्यक्ष पर लिपिक जय प्रकाश अवस्थी की मिलीभगत से बोर्ड में प्रस्ताव लाकर विुत उपकरणों की खरीद में 40 लाख रुपयों को गोलमाल करने तथा कमीशनखोरी का आरोप लगाया है। लोकायुक्त ने अपनी जांच में यह स्वीकार किया है कि विुत उपकरणों की खरीद में मोहरबंद निविदाएं जो 24 फरवरी 2007 को खुलनी थीं, वह दो दिन पूर्व ही खोल दी गईं। यही नहीं नगर पंचायत अध्यक्ष ने 15 सफाई कर्मचारियों की नियम विरुद्ध नियुक्ति कर दी और डीएम को सूचना भी नहीं दी।

लोकायुक्त ने मुख्य सचिव को भेजे प्रत्यावेदन में कहा है कि नगर पंचायत अध्यक्ष बोर्ड के प्रस्तावों की प्रति जिलाधिकारी ही नहीं बल्कि मंडलायुक्त और नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव को भी नहीं भेजते हैं। विुत उपकरणों की खरीद का भुगतान बिना किसी अभियंता के सत्यापन के ही कर दिया। वहीं शिकायतकर्ता का कहना है कि नगर पंचायत अध्यक्ष जनता में भय दिखाने के लिए प्राइवेट चार से पांच असलहाधारियों को रखते हैं और हजारों रुपए सुरक्षा गार्डो पर खर्च करते हैं। यही नहीं वर्ष 2007 में सरकार ने संविदा कर्मचारियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी, इसके बावजूद हरिनाम बाबू मिश्र ने शासनादेशों को दरकिनार कर 16 नियुक्तियां कर डाली थीं। इन नियुक्तियों में धन उगाही भी की गई।

1 comment:

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