सरकारी कर्मचारियों को दे दिए मकान
जिन्होंने नहीं लिए उनके बेच दिए मकान
शिकायतों को गंभीरता से देखूंगा : आवास आयुक्त
आवास एवं विकास परिषद के अफसरों ने राजधानी लखनऊ में हैदर कैनाल के बाएं और दाएं सरकारी जमीन पर दो-दो और तीन-तीन मंजिला मकान बनाने वाले उन सरकारी कर्मचारियों को भी वृन्दावन, तेलीबाग व आम्रपाली योजना में मकान दे दिए जिन्हें सरकार मकान का भत्ता तक देती है। आरटीआई के जरिए इस खुलासे के साथ विभागीय अफसरों द्वारा की गई धांधलीबाजी भी सामने आने लगी है। विस्थापितों में सरकारी कर्मचारियों को मकान देने के पीछे यह भी चर्चा है कि न सिर्फ एक-एक सरकारी कर्मचारी से मोटी रकम वसूली गई है बल्कि जिन्होंने घर नहीं लिया उनके मकानों को ऊंची-ऊंची दरों में बेच देने के आरोप भी अधिकारियों पर हैं।
दरअसल हैदर कैनाल के किनारे बसे लोगों को इसलिए उजाड़ दिया गया क्योंकि कैनाल का एक किनारा बसपा के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सतीश चन्द्र मिश्रा के मकान की शोभा को नष्ट कर रहा था तो बहुजन प्रेरणा स्थल के नाते हैदर कैनाल वासी सरकार की आंखों में चुभ रहे थे। कैनाल के दोनों किनारों पर रहने वाले लोगों को रातों-रात उजाड़ दिया गया। इसके खिलाफ विरोध के स्वर को भी पुलिसिया लाठी के सहारे कुचला गया। विस्थापितों को रातों-रात बसाने का काम भी सरकार के इशारे पर बड़ी तत्परता के साथ किया गया। विभागीय सूत्र बताते हैं कि सरकार मलिन बस्तियों को उजाड़ने के नाम पर कोई बखेड़ा खड़ा होना नहीं देखना चाहती थी, इसलिए इसकी आड़ में आवास एवं विकास परिषद के अफसरों ने जमकर फायदा उठाया। उन्होंने ऐसे सरकारी कर्मचारियों को भी वृन्दावन, तेलीबाग, आम्रपाली व हरदोई रोड योजना में मकान दे दिए जो जल निगम, पीडब्लूडी, शक्ति भवन, सचिवालय, सूचना विभाग, बिजलेंस, बीएसएनएल, रेलवे, बिजली विभाग में काम करने के साथ शिक्षक भी हैं जिन्होंने दो-दो और तीन-तीन मंजिला मकान बनाकर कब्जा कर रखा था। मालूम हो कि अधिवक्ता एसपी मिश्र ने आरटीआई के तहत हैदर कैनाल के विस्थापितों की सूची, उन्हें विभिन्न योजनाओं में दिए गए मकान समेत विभिन्न सूचनाएं मांगी थी। जिला नगरीय अभिकरण के परियोजना अधिकारी सतीश चन्द्र वर्मा ने बड़ी मुश्किल से जो सूची उपलब्ध कराई उससे सरकारी कर्मचारियों और दूसरी धांधलीबाजी का भंडाफोड़ हुआ है। श्री मिश्र ने डीएनए को बताया कि सरकारी कर्मचारियों को विस्थापितों में शामिल ही नहीं किया जाना चाहिए था। चूंकि सरकार उन्हें मकान भत्ता देती है दूसरे वे सरकारी जमीन पर कब्जा कर दो-दो और तीन-तीन मंजिला मकान बना रखे थे। उन्होंने यह भी बताया कि जिन्होंने मकान नहीं लिए उनके मकानों को अधिकारियों द्वारा ऊंची-ऊंची दरों पर बेच दिया गया। जिला नगरीय विकास अभिकरण द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची के अनुसार जिन सरकारी कर्मचारियों को मकान दिए गए उनमें जलनिगम की श्रीमती मीना यादव, पीडब्लूडी से शांती देवी, शक्ति भवन में काम करने वाले कामता प्रसाद, सचिवालय की कर्मचारी रमा देवी, असमा बेग, गलफीश, सुरजीत, श्रीमती सीमा, कैसर जहां, सरे, देवमुखी व रामफेरी, इस्लामिया कॉलेज की टीचर श्रीमती राजदा, गन्ना संस्थान की चम्पा, नगर निगम की सोनी, जवाहर भवन में काम करने वाली जीनत बेगम, सूचना विभाग की श्याम कली, बीएसएनएल के कमलेश, रेलवे में काम करने वाली सावित्री शुक्ला, बिजलेंस की प्रेम कुमारी समेत सैकड़ों सरकारी कर्मचारियों को मकान दे दिए गए। इस मामले में हुई धांधली पर नवनियुक्त आवास आयुक्त जगमोहन ने कहा कि इसे मैं गंभीरता से देखूंगा।
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