कृषि एवं ग्राम्य विकास संस्थान ने की प्रमुख सचिव से शिकायत
पंचायतीराज विभाग के निदेशक व विशेष सचिव डीएस श्रीवास्तव पर अब जिलों में पैसे लेकर डीपीआरओ की नियुक्तियां करने का भी आरोप लगने लगा है। झूंसी इलाहाबाद की संस्था कृषि एवं ग्राम्य विकास संस्थान की मंत्री अनीता ने प्रमुख सचिव से शिकायत की है कि जिला पंचायतराज अधिकारियों की जिला स्तर पर नियमों के विपरीत तैनाती में धन उगाही की जा रही है। शासन के उच्च अफसरों को संज्ञान में लाए बिना निदेशक मनमाने फैसले ले रहे हैं।संस्थान ने विभाग के प्रमुख सचिव को लिखे शिकायती पत्र में कहा है कि जिला पंचायतराज अधिकारियों की स्वीकृत संख्या 72 है। 72 पदों में लोक सेवा आयोग के माध्यम से सीधी भर्ती के 36 पदों से स्पष्ट है कि पदोन्नति के जरिए पदों के भरे जाने की अनुमन्यता के सापेक्ष सहायक विकास अधिकारी के कुल 32 पदों के विपरीत 46 पदों पर पूर्व से ही प्रभारी जिला पंचायतराज अधिकारी बनाए गए हैं। जबकि सहायक जिला पंचायतराज अधिकारी तकनीकी के लिए अनुमन्य चार पदों के सापेक्ष 14 पदों पर तैनाती की गई है। इस प्रकार सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) संवर्ग से 14 तथा सहायक जिला पंचायत अधिकारी तक संवर्ग से 10 अधिक पदों पर प्रभारी जिला पंचायतराज अधिकारी तैनात हैं। इससे स्पष्ट है कि पूर्व से ही स्वीकृत जिला पंचायतराज अधिकारियों के पदों के विपरीत 24 अधिकारी अधिक प्रभारी बनाए गए हैं। संस्थान के मंत्री ने कहा है कि प्रभारी जिला पंचायतराज अधिकारियों के अलावा निदेशक ने अंबेडकरनगर में अनिल कुमार सिंह को कनिष्ठ सहायक विकास अधिकारी एवं गोरखपुर में अति कनिष्ठ ग्राम पंचायत अधिकारी आरके भारती को प्रभारी जिला पंचायत अधिकारी बनाया है। कृषि एवं ग्राम्य विकास संस्थान ने कहा है कि प्रशासनिक भ्रष्टाचार के अलावा सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान में भी गड़बड़ियां सामने आई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के समस्त बीपीएल परिवारों तथा 10 प्रतिशत एपीएल परिवारों को व्यक्तिगत शौचालय से आच्छादित करने के लिए प्रोत्साहन राशि दिए जाने का प्रावधान है। इसमें प्रति शौचालय निर्धारित धनराशि 2640 है जबकि डॉ. अंबेडकर ग्रामों में प्रदेश सरकार द्वारा 4940 जिसमें 4540 रुपए अनुदान तथा 400 लाभार्थी अंश है। राज्य स्तर से जारी शासनादेश व भारत सरकार की गाइड लाइन के अनुसार शौचालय की धनराशि लाभार्थियों के खाते में जानी चाहिए। किंतु शासनादेश के विपरीत जनपद स्तर के शौचालय सेट की धनराशि काटकर पंचायत उोगों को दी जा रही है।
लाभार्थी को कोई भी धनराशि उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। संस्थान ने कहा है कि पंचायत उोगों को निदेशक द्वारा अधिकृत करते हुए अग्रिम में कमीशन वसूला जा रहा है। डा. अंबेडकर गांवों में फिर भी कुछ शौचालय बनाए जा रहे हैं मगर नॉन अंबेडकर गांवों में व्यापक स्तर पर हेराफेरी की जा रही है। संस्थान ने फर्जी प्रगति रिपोर्ट भेजे जाने का भी आरोप लगाया है। निदेशक द्वारा जिलों में नियमों के विपरीत डीपीआरओ की तैनाती पर 28 फरवरी 2011 को की गई शिकायत तथा धन उगाही के मामले में प्रमुख सचिव बीएम मीना ने कहा कि मैं तो उस समय विभाग में नहीं था। पता नहीं उस समय इसकी जांच क्यों नहीं की गई? मगर मैं इसे देखूंगा।
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