Tuesday 29 March 2011

भ्रष्टाचार के फावड़े से तालाब खोदेंगे अफसर


केंद्र ने खारिज कर दिया राज्य के अरबों रुपए का प्रस्ताव



लखनऊ। राज्य सरकार ने अब यूपी में भ्रष्टाचार के फावड़े से तालाब खोदने की तरकीब ढूंढ़ निकाली है। भूगर्भ जल विभाग के अफसर 124 विकास खंडों में पानी की दिक्कत दूर करने के लिए 952.63 करोड़ खर्च करने का खाका तैयार किए बैठे हैं। इन पैसों से वे वर्षा का जल संचय करेंगे। पिछले साल भी अधिकारी मनरेगा के 1197 करोड़ रुपए खर्च कर भ्रष्टाचार का तालाब खोदते रहे मगर पानी के संकट से निजात नहीं दिला पाए थे। अबकि बार केंद्र सरकार ने राज्य सरकार के मंसूबों को देखते हुए ही अरबों के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर जोर का झटका दिया है। भूगर्भ विभाग के सूत्रों के मुताबिक उसने प्रदेश में 124 विकास खंडों में जल संचयन एवं रिचार्ज योजनाओं की रूपरेखा लगभग तैयार कर ली है। इसके लिए विभाग ने जिलों से प्राप्त सूचनाओं को आधार मानकर 952.63 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना कागजों पर तैयार कर ली है। मनरेगा के इन पैसों से अफसर भूमि संरक्षण, मेड़ बंदी, तालाबों का निर्माण, जीर्णोद्धार, चेक डैम, रिचार्ज पिट, वनीकरण, पीजोमीटर का निर्माण तथा जनजागरण किए जाएंगे। विभाग ने विभिन्न जिलों के जिलाधिकारियों की अध्यक्षता में गठित तकनीकी समन्वय समिति से करोड़ो के धन के लिए अनुमोदन भी करा लिया है। मगर सबसे चौकाने वाली बात यह है कि विभाग और विभाग के प्रमुख सचिव सुशील कुमार के आंकड़ों में ही विरोधाभास की स्थिति है। डीएनए ने जब उनसे पूछा कि यूपी में कुल कितने विकास खंड पानी से संकटग्रस्त हैं, तो उन्होंने बताया कि 200 से अधिक विकासखंडों में भूजल की समस्या है। वहीं विभाग 124 विकास खंडों में पानी के संकट के आंकड़े बनाए बैठा है।

सबसे बड़ी बात तो यह है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष केलिए राज्य सरकार ने मनरेगा के पैसों से तालाब वगैरह खुदवाने का जो प्रस्ताव केंद्र को भेजा है, उसे केंद्र सरकार औपचारिक रूप से मानने को तैयार ही नहीं हो रही है। प्रमुख सचिव ने भी यह स्वीकार किया है कि केंद्र, राज्य सरकार के आंकड़ों को नहीं मान रही है। दरअसल मनरेगा के पैसों में लगातार हो रहे घपलों की शिकायतों से केंद्र अब चौकन्ना हो गया है। प्रमुख सचिव ने बताया कि पिछले साल 1197 करोड़ रुपए पानी से संकटग्रस्त विकासखंडों में खर्च करने के लिए केंद्र सरकार ने दिया था। मगर पानी की समस्या इस साल भी जस की तस बनी हुई है। मनरेगा के पैसों के दुरुपयोग की ही वजह से केंद्र ने जलसंचयन के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। भूगर्भ विभाग के अनुसार आगरा के बरौली अहीर, मथुरा के नौझील, हाथरस के सादाबाद, सहपऊ, सासनी, एटा के मरहरा, सकीत व कासगंज, बागपत के बिनौली व पिलाना, बरेली के आलमपुर जाफराबाद, बदायूं के अम्बियापुर, आसफपुर, बिसौली, जगत, जुनावई, रजपुरा, सहसवान व सलारपुर, देवरिया के भाटपार रानी, फरुखाबाद के बढ़पुर, लखनऊ के माल, मुरादाबाद के बहजोई, डिंगरपुर व सम्भल, बिजनौर के जलीलपुर, रामपुर के चमरौहा, जेपी नगर के गजरौला, गंगेश्वरी व हसनपुर, मुजफ्फरनगर के साहपुर व ऊन, सहारनपुर के गंगोह, नकुर व ननीता आदि क्षेत्रों में भूजल का जबरदस्त संकट है।

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