Friday 25 February 2011

मालखाने में जमा हैं लोहिया और डॉ. अंबेडकर

मूर्ति प्रेम की सियासत से सरकार का मोह भंग
स्थापित नहीं हो पाईं करोड़ों की मूर्तियां

मूर्तियों पर विरोधियों द्वारा लगातार सियासत किए जाने को लेकर ही शायद अब बसपा सरकार का मूर्ति प्रेम के प्रति मोह भंग हो गया है। मूर्तियों के प्रति अचानक बदली सरकार की धारणा के परिणाम स्वरूप ही न सिर्फ बहुजन समाज को प्रेरित करने वाले बाबा साहब अंबेडकर, छत्रपति शाहूजी महराज, संत ज्योतिबा फूले, नारायण गुरु बल्कि समाजवादी आंदोलन के अगुवा डॉ. राम मनोहर लोहिया, राजनारायण और भाजपाइयों में राष्ट्रवाद की अलख जगाने वाले पंडित दीन दयाल उपाध्याय समेत तमाम महापुरुषों के करोड़ो की लागत वाली मूर्तियां संस्कृति विभाग के मालखाने में जमा हैं।

मालूम हो कि अंजुमन हिंद कमेटी की ओर से अधिवक्ता एसपी मिश्र ने संस्कृति विभाग व प्रमुख सचिव लोक शिकायत से सूचना का अधिकार के तहत करोड़ो की लागत से बनी महापुरुषों, क्रांतिकारियों व अन्य विभिन्न समाज सेवियों की मूर्तियों के बारे में जानकारी मांगी थी। श्री मिश्र ने प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में यह कहा है कि वर्तमान में कुल निर्माणाधीन व स्थापित नहीं हुई मूर्तियों में सरकार का काफी पैसा लग चुका है। पूर्व की सरकारों में भी ऐसा होता चला आ रहा है। उसने लोक शिकायत विभाग से यह निवेदन भी किया है कि सरकार मूर्तिकारों को मूर्ति स्थापित करने के पहले 75 प्रतिशत धन भुगतान करने के बजाय 10 प्रतिशत ही करे। इससे अधिकांश पैसा फंस जाता है और मूर्तियां मालखाने में पड़ी रह जाती हैं। आवेदक ने संस्कृति विभाग के निदेशक से पूछा है कि 4 नवंबर 2008 तक जिन मूर्तियों का भुगतान 75 प्रतिशत हो चुका है, वे मूर्तियां किन-किन मालखाने में जमा हैं? मगर निदेशालय ने इसका जवाब देना मुनासिब नहीं समझा।

संस्कृति विभाग की अपर निदेशक नीलम अहलावत ने निदेशक की तरफ से मूर्तियों के भुगतान के पश्चात उन्हें न लगाने की जो सूची उपलब्ध कराई है उनमें बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की मूर्तियों पर 75 प्रतिशत धन, गौतम बुद्ध की मूर्ति पर 25 प्रतिशत, छत्रपति शाहूजी पर 67 प्रतिशत, संत ज्योतिबा फूले पर 67 प्रतिशत, नारायण गुरु पर 67 प्रतिशत धन खर्च किया जा चुका है। सूत्र बताते हैं कि यह सभी प्रतिमाएं विभाग के मालखाने में जमा हैं। इसके अलावा समाजवाद की पंक्ति से जुड़े नेताओं में डॉ. राम मनोहर लोहिया, स्व. कपरूरी ठाकुर, राज नारायण, चौधरी चरण सिंह, जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीन दयाल उपाध्याय, पूर्व मुख्यमंत्री चन्द्रभानु गुप्ता, राहुल सांस्कृत्यायन, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन, हेमवती नंदन बहुगुणा, निषादराज गुह, गणेश शंकर विार्थी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, नेताजी सुभाष चंद बोस, महाराजा बिजली पासी, जनसंघ के नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, रानी अहिल्याबाई होलकर, महाराणा प्रताप, महारानी दुर्गावती, मंगल पांडेय, सम्राट चन्द्र गुप्त, शहीद चन्द्रशेखर आजाद, वीर लाखा बंजारा, अवंती बाई लोधी, लोक नायक जयप्रकाश नारायण, कैफी आजमी और टीपू सुल्तान की मूर्तियां या तो निर्माणाधीन हैं या फिर वे स्थापित नहीं हो पाई हैं। अपर निदेशक नीलम अहलावत ने आवेदक को भेजे अपने जवाब में कहा है कि जो मूर्तियां स्थापित नहीं हुई हैं उनके लिए शासन को पत्र भेजा गया है। अभी वह विचाराधीन हैं। संस्कृति निदेशक द्वारा शासन के अनुसचिव को भेजे पत्र में लिखा गया है कि आवेदक ने जो सुझाव दिए हैं उन पर वे कोई मार्गदर्शन देने का कष्ट करें।

2 comments:

  1. ओ तेरी ! ऐसा भी होता है?

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  2. इसमें चौंकने वाली क्या बात है? माया मैडम के जलवे हैं...!

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