कागजों पर बाढ़ राहत बांटते रहे, बाढ़ में मौतों, नष्ट फसलों, ध्वस्त मकानों की जानकारी नहीं
बीते बारिश के मौसम में कई जिले बाढ़ में डूबे तो उस दौरान राजधानी में ही बैठे-बैठे नौकरशाह बाढ़ आपदा से निपटने के लिए सारे राहत कार्य पहुंचाते रहे। उन्हें यह भी नहीं मालूम था कि कुल कितने जिले और कितनी आबादी बाढ़ की विभीषिका से त्रस्त है? अफसर कागजों पर किसानों को क्षतिग्रस्त फसलों का मुआवजा, पशुओं को चारा और ध्वस्त मकान समेत किसी भी क्षति की भरपाई समय पर नहीं कर पाए थे। सिर्फ कागजों की आंकड़ेबाजी करते रहे तथा बाढ़ राहत के करीब 500 करोड़ रुपए भ्रष्टाचार की बाढ़ में डुबो दिए। बाढ़ राहत से जुड़े अफसरों द्वारा करोड़ो रुपए भ्रष्टाचार की बाढ़ में डुबोने का खुलासा आरटीआई के जरिए मिली जानकारी से हुआ है। मुरादाबाद निवासी और आरटीआई ऐक्टिविस्ट सलीम बेग ने सरकार से पूछा था कि सरकार जिस 47710.90 लाख रुपए बाढ़ राहत में खर्च करने का दावा कर रही है, उसने किस मद में और जिलों को कितने पैसे दिए हैं? चूंकि अफसर आंकड़ों के बाजीगरी में उस्ताद हैं, इसलिए उन्होंने जिलेवार आवंटित धन का ब्यौरा तो दे दिया मगर बाढ़ से कितना नुकसान हुआ है और कितने घर बह गए, कितने पेड़ गिरे, कितने पशु मारे गए, कितनी खड़ी फसलें नष्ट हुईं आदि का कोई ब्यौरा न तो राजस्व विभाग के पास है और न ही राहत आयुक्त के दफ्तर में किसी प्रकार की कोई जानकारी है। राजस्व अनुभाग के अनुसचिव राजेन्द्र प्रसाद ने जिलेवार बाढ़ राहत के मद में बताया है कि आगरा को 412.39 लाख, अलीगढ़ 1052.73 लाख, इलाहाबाद 374.52 लाख, अंबेडकर नगर 270.50 लाख, औरैया 93 लाख, आजमगढ़ 430.14 लाख, बदायूं 1030.38 लाख, बागपत 219.50 लाख, बहराइच 1160.19 लाख, बलिया 601.97 लाख, बलरामपुर 348.50 लाख, बांदा 107 लाख, बाराबंकी 1139.03 लाख, बरेली 1802.08 लाख, बस्ती 354 लाख, बिजनौर 2923.13 लाख, बुलंदशहर 307.50 लाख, चंदौली 66.50 लाख, छत्रपतिशाहूजी महराजनगर 57.50 लाख, चित्रकूट 83 लाख, देवरिया 467.50 लाख, एटा 133.50 लाख, इटावा 67.50 लाख, फैजाबाद 384.74 लाख, फरुखाबाद 1354.71 लाख, फतेहपुर 412.50 लाख, फिरोजाबाद 277 लाख, गौतमबुद्धनगर 188.50 लाख, गाजियाबाद 703 लाख, गाजीपुर 130.50 लाख, गोंडा 887.62 लाख, गोरखपुर 1964.47 लाख, हमीरपुर 56 लाख, हरदोई 2528.23 लाख, हाथरस 171 लाख, जालौन 309.87 लाख, जौनपुर 60 लाख, झांसी 261.08 लाख, ज्योतिबाफूलेनगर 515.80 लाख, कन्नौज 282.63 लाख, कानपुर नगर 159.50 लाख, कांशीराम नगर 873.37 लाख, कौशाम्बी 64.50 लाख, कुशीनगर 950 लाख, लखीमपुर खीरी 2355.87 लाख, ललितपुर 68.50 लाख, लखनऊ 213 लाख, महराजगंज 971.10 लाख, महोबा 54.50 लाख, मैनपुरी 138.50 लाख, मथुरा 656.55 लाख, मऊ 138 लाख, मेरठ 788.77 लाख, मिरजापुर 87 लाख, मोरादाबाद 2001.84 लाख, मुजफ्फरनगर 1208.35 लाख, पीलीभीत में 871.28 लाख, प्रतापगढ़ 77.50 लाख, रायबरेली 228.54 लाख, रमाबाईनगर 97.50 लाख, रामपुर 2217 लाख, सहारनपुर 2893.59 लाख, संतकबीर नगर 402.52 लाख, संतरविदास नगर 34.50 लाख, शाहजहांपुर 2204.47 लाख, श्रावस्ती 352.79 लाख, सिद्धार्थनगर 596.50 लाख, सीतापुर 1181 लाख, सोनभद्र 98.50 लाख, सुल्तानपुर 126 लाख, उन्नाव 1537 लाख और वाराणसी को 73 लाख रुपए दिए जाने का हिसाब-किताब है। इसमें 72 जिलों में बाढ़ के लिए 10073.35 लाख, कृषि में सब्सिडी देने के नाम पर 8507.99 लाख, नष्ट हुए मकान के लिए 1643 लाख, नुकसान हुए सार्वजनिक सम्पत्ति पर 22972.57 लाख, ठंड के मौसम में राहत के नाम पर 468 लाख व अन्य के मद में 3970.30 लाख रुपए जिलों में दिए गए पैसों का ब्यौरा दिया गया है।
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