Sunday 24 April 2011

साहब, अब बुतों की दुकान खोलिए

लोन देने जा रही है सरकार
बसपा के राज में दुकानदारों की चांदी

अगर आप बेरोजगार हैं और कमाई का जरिया ढूंढ रहे हैं तो सरकार आपको घर बैठे पैसा देने जा रही है। जिन मूर्तियों को लेकर माया सरकार को तमाम आलोचनाओं का सामना करना पड़ा अब उसकी ही दुकान खोलने के लिए वह लोन देने जा रही है। कम से कम बसपा सरकार के रहते मूर्तियों की दुकान खोलने वालों की चांदी तो रहेगी ही। चार सालों तक पत्थरों पर विकास की इबारत लिखने वाली सरकार चुनावी साल में गरीबों के लिए पंचर बनाने, सैलून खोलने, पनीर, खोया, मक्खन निकालने, दर्जी व किराना की दुकान, ढाबा खोलने समेत बहुत सारे कामों के लिए लोन दे रही है।

यूपी में सरकार अब छोटे तबके को लॉलीपाप देने की तैयारी में है। उसे फुसलाने के इरादे से ही माया मेमसाहब ने अफसरों को सक्रिय कर दिया है। सरकार के कई विभागों मसलन ग्राम्य विकास विभाग, नियोजन एवं समन्वय विभाग, समाज कल्याण विभाग, उोग विभाग, वित्त विभाग, खादी ग्रामोोग विभाग ने मिलकर जो मसौदा छोटे तबके को रोजगार देने के लिए तैयार किया है उसमें खासकर अन्य रोजगारों में मूर्ति निर्माण के लिए भी लोन देने की सूची में शामिल किया गया है। सूत्रों का कहना है कि मूर्तिकारों तथा इस पेशे से जुड़े लोगों को फायदा मिलेगा। अब तक उन्हें इस मद में सरकारी मदद नहीं मिलती थी। इलेक्ट्रानिक्स, मोबाइल रिपेयरिंग, रेडीमेड गारमेंट्स, टेलरिंग, भवन निर्माण सामग्री, फर्नीचर का कार्य, ढाबा, फोटोग्राफी, जनरल स्टोर, स्टील बर्तन, दोना पत्तल, मूर्ति निर्माण, बेकरी, डेरी कार्य, दुग्ध उत्पाद आधारित क्रीम, मक्खन, पनीर व खोया, ट्रैक्टर व पम्पिंग सेट मरम्मत, कम्प्रेशर, पंचर बनाना, हेयर कटिंग, सैलून, ब्यूटीशियन एवं लांड्री आदि कार्यो पर रोजगार स्थापित करने के लिए सरकार ऋण देगी। ग्राम्य विकास विभाग द्वारा बनाए गए प्रस्ताव के मुताबिक रोजगार की लागत उसके स्वभाव के अनुरूप तय की जाएगी। मगर यह लागत कम से कम 45 हजार रुपए तक होगी। सरकार इसमें यह सुनिश्चित करेगी कि औसत इकाई लागत 70 हजार रुपए अवश्य हो। औसत इकाई लागत में 45 हजार रुपए परिसम्पत्ति, मशीन व उपकरण आदि के लिए बैंक से ऋण के रूप में तथा 7500 रुपए कच्चा माल के लिए, रिवाल्विंग फंड के लिए 7500, सामान्य के लिए 10,000, स्पेशल कम्पोनेंट मद के तहत लाभार्थियों को राजकीय सहायता के रूप में 17,500 तथा शेष को 15,000 रुपए दिए जाएंगे।

दरअसल सरकार इस पूरी योजना को प्रधानमंत्री के नाम से चलने वाली राष्ट्रीय रोजगार योजना के तर्ज पर गांवों व कस्बों में ले जाने की तैयारी में है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने इस योजना के लिए बड़े ही सख्त लहजे में कहा है कि अंबेडकर विशेष रोजगार योजना में स्थापित होने वाली रोजगार इकाइयों में प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के लाभार्थी चिन्हित न किए जाएं। इसमें किसी भी प्रकार की डुप्लीकेसी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

3 comments:

  1. बहुत अच्छा लिखा आपने
    मेरी नई पोस्ट देखें
    मिलिए हमारी गली के गधे से

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  2. देखना है सरकार की यह योजना, कहाँ तक आम आदमी को लाभ पहुँचती है |

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