Tuesday 19 April 2011

चौधरी की थाली गठबंधन से खाली


कहा : एक हाथ से कैसे बजे ताली
कल तक सपा और कांग्रेस से गठबंधन की संभावनाएं तलाश रहे चौधरी अजित सिंह सोमवार को आखिरकार कह ही बैठे कि ताली दोनों हाथों से बजती है। लगता है कि समाजवादी पार्टी द्वारा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने तथा कांग्रेस की ओर जाने वाले गठबंधन के रास्ते बंद देख चौधरी साहब की ताली बजाने के इरादे कहीं खाली-खाली ही तो नहीं रह जाएंगे।

सपा और कांग्रेस से सियासी जुगलबंदी हो या न हो चौधरी साहब ने पत्रकारों से आज यह भी कह ही दिया कि वे अब हफ्ते में दो या तीन बार लखनऊ आ जाया करेंगे। मतलब बिलकुल साफ है कि दोनों पार्टिया अभी भले ही झिड़क रही हों किसी न किसी दिन तो उनकी जरूरत जरूर समझ में आएगी। लिहाजा किसान नेता अपनी अहमियत बढ़ाने के लिए सियासी जमीन मजबूत करने में जुट गए हैं। पिछले दो महीनों में लखनऊ की तकरीबन एक दर्जन बार यात्रा कर चुके अजित सिंह अपने मोर्चे को सशक्त बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं। उन्हें लगता है कि मोर्चे के घटक दल पीस पार्टी, इंडियन जस्टिस पार्टी, जनवादी संगठन समेत अगर उनके साथ विधानसभा चुनाव तक गांठ बांधे रहे तो यही सपा और कांग्रेस के नेता उनके पास दौड़ कर आएंगे।

पार्टी दफ्तर में पत्रकारों से रूबरू हुए रालोद नेता ने अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से बात शुरू की। मगर जनलोकपाल बिल पर अन्ना के समर्थन करने के पीछे उनका सपा विरोधी गुस्सा जाहिर हो ही गया। खासतौर पर मुलायम और कांग्रेस को लेकर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अन्ना के आंदोलन से सरकार बैकफुट पर जाने के लिए मजबूर हो गई। हालांकि बहुत सी आवाजें उठ रही हैं मगर उसका कोई मतलब नहीं है। लेकिन जन लोकपाल बिल पर सपा मुखिया का स्टैंड निश्चिततौर रूप से अटपटा लगने वाला है तथा इसे फासिज्म करार देना कहां की बुद्धिमानी है। चौधरी ने मुलायम पर हमलावर अंदाज में तर्को का धार तेज करते हुए कहा कि आखिर वे मायावती के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई किस आधार पर लड़ रहे हैं? सपा नेता भ्रष्टाचार के विरोध में सरकारी ताले तक अभी पिछले महीने डलवा दिए। लोहिया के चेले को अपने गुरू के ही सिद्धांत पर चलना चाहिए जिसमें उन्होंने कहा था कि किसी भी बुराई को खत्म करने के लिए पांच साल का इंतजार नहीं करना चाहिए।

चौधरी साहब का गुस्सा कांग्रेस पर भी उतरा कहा अन्ना के चलते यूपीए सरकार भले ही बैकफुट पर हो मगर अभी तक कांग्रेसी जन लोकपाल बिल पर अलग-अलग राग अलाप रहे हैं। कांग्रेस को धौंस दिखाते हुए रालोद मुखिया ने कहा कि वो तो संसद में इस बिल का बिलकुल समर्थन करेंगे। चौधरी साहब की यह धौंस कांग्रेसी नेता समझेंगे या नहीं, या फिर सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव इतने बड़े विरोध के बाद उनका इशारा समझेंगे कि नहीं, मगर चौधरी गठबंधन का इशारा नजरअंदाज किए जाने से खफा-खफा जरूर हैं।

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