बेरोजगारों से 50-50 रुपए वसूलवाने के चक्कर में
धकेले गए देवरिया से लखनऊ
यूपी के हर जिले में सीएमओ और उनके मातहत अफसर अराजकता फैलाए हैं। 15 दिन पहले तक देवरिया के सीएमओ रहे राम कृत राम की दबंगई के सामने प्रमुख सचिव से लेकर गोरखपुर मंडल के कमिश्नर तक हार मान गए। अंत में सीएमओ साहब की हेकड़ी उस दिन गायब हो गई जब देवरिया के उप जिलाधिकारी ने बेरोजगारों से मेडिकल सर्टिफिकेट के नाम पर 50-50 रुपए लेते हुए बाबू को रंगे हाथ पकड़ा। बेरोजगार छात्रों की शिकायत पर छापा मारने गए उप जिलाधिकारी के सामने बाबू ने कबूला कि सीएमओ साहब के कहने पर ही 35 रुपए के बजाय 50-50 रुपए मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के लिए वसूले जा रहे हैं।
तकरीबन 15 दिन पहले देवरिया में सीएमओ रहे आरके राम की तूती बोल रही थी। बड़े-बड़े आईएएस और दिग्गज अफसरों तक को वह नचाते थे। आरके जो कह देते थे वही होता था। जानकारी के अनुसार देवरिया का उप मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. डीवी शाही इसी जिले का ही रहने वाला है और वह ठाट से नौकरी इसलिए कर रहा है कि उसके ऊपर आरके राम का हाथ है। प्रमुख सचिव ने डीवी शाही के खिलाफ प्राप्त शिकायतों की जांच निदेशक, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण गोरखपुर मंडल से कराई थी। जांच अधिकारी की रिपोर्ट पर प्रमुख सचिव ने उसे देवरिया से हटा कर कन्नौज के मुख्य चिकित्साधिकारी के अधीन तैनात करने का आदेश जारी किया था। मगर तत्कालीन देवरिया जिले के सीएमओ की ऊंची पहुंच के चलते प्रमुख सचिव का आदेश भी काम नहीं आया। आरके राम ने 12 फरवरी 2010 को एक आदेश पारित करते हुए लिखा कि डॉ. डीवी शाही उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पद पर बने रहेंगे। उन्होंने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से फोन पर बात कर ली है। आरके राम का दबदबा यही नहीं रहा, गोरखपुर के कमिश्नर पीके महान्ति के एक आदेश को भी उन्होंने खूंटी पर टांग दिया था जिसमें कमिश्नर ने देवरिया जिले के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मझगांवा में आशा के पद पर कार्यरत कुसमावती को जननी सुरक्षा योजना में कराए प्रसव की धनराशि का भुगतान करने को कहा था। तत्कालीन सीएमओ साहब के अधीनस्थ कार्य करने वाला कनिष्ठ लिपिक अखिलेश कुमार जायसवाल ने पैसे को अवैध रूप से यह कहते हुए रोक दिया था कि जब तक मैं यहां रहूंगा पैसे का भुगतान नहीं करूंगा।
आखिरकार भ्रष्टाचार का मकड़जाल फैलाने वाले आरके राम एक दिन अपने ही फैलाए तानेबाने में बड़ी बुरी तरह फंस गए। उनके कहने पर ही सीएमओ दफ्तर का बाबू बेरोजगार छात्रों से मेडिकल सर्टिफिकेट बनाने के नाम पर 50-50 रुपए वसूल रहा था। छात्रों ने एक दिन डीएम से शिकायत की तो उपजिलाधिकारी दफ्तर में छापा मारने पहुंच गए। उन्होंने बाबू को 50 रुपए लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा। बाबू ने उपजिलाधिकारी के समक्ष स्वीकार किया कि सीएमओ के कहने पर ही 35 रुपए के बजाय 50-50 रुपए वसूला जा रहा है। डीएम ने जब इस बाबत सख्ती की तो आरके राम ने बाबू अरविंद सिंह को निलम्बित कर दिया। इस मुद्दे पर देवरिया के पूर्व सीएमओ आरके राम ने सफाई देते हुए डीएनए से कहा कि मैंने बाबू से नहीं कहा था कि वो 50-50 रुपए वसूले। हम क्यों कहेंगे? प्रमुख सचिव व गोरखपुर के कमिश्नर के आदेशों की अवहेलना के सवाल पर भी आरके राम पल्ला झाड़ गए और कहा कि मैं कौन होता हूं बड़े अफसरों की बात न मानने वाला। आप तो नाहक पुराने मुद्दे उठा रहे हैं।
बदलाव की शुरुआत हो चुकी है धीरे धीरे सभी पकड़े जायेंगे |
ReplyDeleteउम्दा पोस्ट धन्यवाद |
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