Thursday 21 April 2011

सवालों के घेरे में विशेष सचिव


कम्प्यूटराइजेशन का 62 करोड़ व 292 करोड़ का डाइवर्जन क्यों किया

बारहवें वित्त आयोग से मिले अरबों रुपयों को लेकर पंचायतीराज विभाग सवालों के घेरे में खड़ा हो गया है। मौजूदा विशेष सचिव व निदेशक पंचायतीराज तथा प्रमुख सचिव रहे आरके शर्मा द्वारा 12 वें वित्त आयोग के पैसों को अनाप-शनाप तरीके से खर्च किए जाने पर भारतीय लेखा तथा लेखा परीक्षा विभाग ने कड़ी आपत्ति जताई है और विशेष सचिव डीएस श्रीवास्तव से स्पष्टीकरण मांगा है। प्रधान महालेखाकार ने 292.80 करोड़ तथा पंचायतों के कम्प्यूटरीकरण के लिए खर्च होने वाले 62.37 करोड़ रुपए को पेयजल व स्वच्छता के मद में किए गए एक-एक पैसों का हिसाब देने को कहा है।

प्रधान महालेखाकर द्वारा बीते 23 मार्च को भेजे एक पत्र ने पंचायतीराज विभाग में हड़कम्प मचा दिया है। जब से यह पत्र विभाग में आया है तब से अफसरों को पसीना आ रहा है। प्रधान महालेखाकार ने पंचायतीराज विभाग के विशेष सचिव व निदेशक डीएस श्रीवास्तव से पूछा है कि बारहवें वित्त आयोग में कौन सी धनराशि किस मद में व्यय की जानी है? इसका निर्धारण केन्द्र करता है या फिर राज्य सरकार करती है। यदि यह राज्य सरकार द्वारा किया जाता है तो क्या इसकी स्वीकृति केन्द्र सरकार से प्राप्त की जाती है? दरअसल भारतीय लेखा तथा लेखा परीक्षा विभाग सवाल पर सवाल इसलिए कर रहा है कि यूपी में जितनी तादात में पैसों का डाइवर्जन किया गया है शायद ही दूसरे प्रदशों में ऐसी शिकायतें हों। प्रधान महालेखाकार ने पहले तो पंचायतों के कम्प्यूटरीकरण को लेकर मिले 62.37 करोड़ रुपए को पेयजल व स्वच्छता के मद में खर्च किए जाने को लेकर विशेष सचिव को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने बड़े सख्त लहजे में पूछा है कि बारहवें वित्त आयोग के लिए निर्धारित 62.37 करोड़ की धनराशि तीनों पंचायतों के कम्प्यूटराइजेशन के स्थान पर पेयजल एवं स्वच्छता कार्यक्रम के रखरखाव पर खर्च करने के लिए केन्द्र सरकार से स्वीकृति ली गई थी। इसका एक-एक हिसाब लेखा परीक्षा विभाग को तत्काल भेजा जाय।

यही नहीं प्रधान महालेखाकार ने बारहवें वित्त आयोग की प्रथम किस्त 292.80 करोड़ रुपए खर्च किए जाने को लेकर भी पंचायतीराज विभाग को कटघरे में खड़ा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि इसका भी एक-एक हिसाब विशेष सचिव लेखा परीक्षा विभाग को दे दें। महालेखाकार ने विशेष सचिव की लेटलतीफी पर भी करारी चोट की है। उन्होंने कहा कि बारहवें वित्त आयोग की धनराशि जिलों में 15 दिन के अन्दर निर्गत की जानी थी। पंचायतों के कम्प्यूटराइजेशन के 62.37 करोड़ रुपए 20 महीनों तक जिलों में नहीं पहुंचे। सबसे बड़ा सवाल महालेखाकार ने यह किया है कि वर्ष 2009-10 में तथा 2010-11 में पेयजल व स्वच्छता कार्यक्रमों के रखरखाव के लिए बारहवें वित्त आयोग एवं पंचायतीराज विभाग की विभिन्न योजनाओं से कुल कितनी धनराशि स्वीकृति की गई और कितने जिलों को पैसा दिया गया? प्रधान महालेखाकार ने शायद यह सवाल विशेष सचिव से इसलिए किया है कि अगर पेयजल एवं स्वच्छता कार्यक्रमों के रखरखाव के लिए पैसा दिया गया तो फिर कम्प्यूटराजेशन का 62.37 करोड़ रुपए इस पर क्यों खर्च कर दिया गया। इन सवालों से घबराए विशेष सचिव ने डीएनए से कहा कि 62.37 करोड़ में 55 करोड़ रुपए पेयजल एवं स्वच्छता पर खर्च किया गया है। तीन लाख रुपए कानपुर आईआईटी को तथा बाकी धन जिला पंचायतों को दिया गया है। पैसों के डावर्जन पर उन्होंने कहा कि गाइडलाइन के अनुसार पैसों को एक मद से दूसरे मद में खर्च किया गया है।

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