Sunday 3 April 2011

सूचना आयोग से ढाई हजार फाइलें गायब


सीआईसी की लचर कार्यशैली की खुली पोल
सुनवाई कक्षों में हजारों मामले दर्ज नहीं

 यूपी के मुख्य सूचना आयुक्त रणजीत सिंह पंकज की लापरवाही और हीलाहवाली वाली कार्यशैली से राज्य सूचना आयोग का कामकाज प्रभावित होने लगा है। करीब ढाई हजार फाइलें गायब हो गई हैं और वे सीआईसी की कुर्सी पर ठाट से बैठकर आराम फरमा रहे हैं। हजारों की तादात में मामले अभी तक सुनवाई कक्षों में दर्ज नहीं होने से उनके लचर प्रशासनिक तौर-तरीकों की पोल खुल गई है।

आयोग की सूत्रों के मुताबिक करीब 2492 मामले जो विभिन्न सुनवाई कक्षों में भेजे गए थे उनमें से अभी तक ये दर्ज नहीं हो पाए हैं। पता चला है कि ये फाइलें मिल न पाने की वजह से विभिन्न सुनवाई कक्षों में दर्ज नहीं हो पा रही हैं। सूत्र बताते हैं कि सीआईसी ने एक गोपनीय पत्र जारी करते हुए सूचना आयुक्तों से खोई हुई फाइलों को दर्ज करने के लिए कहा है। उन्होंने गायब हुई फाइलों की संख्या तथा वादकारियों के नाम की सूची भी उपलब्ध कराई है। इनमें सीआईसी के कोर्ट की खुद 243 फाइलें, पूर्व सूचना आयुक्त ज्ञानेन्द्र शर्मा के समय में 380 फाइलें, मेजर संजय यादव के कोर्ट की 531 फाइलें, वीरेन्द्र सक्सेना के कोर्ट की 26 फाइलें, राम हरि विजय त्रिपाठी के कोर्ट की 228 फाइलें, अशोक कुमार गुप्ता के कोर्ट की 315 फाइलें, सुनील कुमार चौधरी के कोर्ट की 10 फाइलें, सुभाष चंद पांडेय के कोर्ट की 31 फाइलें, राम सरन अवस्थी के कोर्ट की 19 फाइलें, बृजेश कुमार मिश्र के कोर्ट की 338 फाइलें तथा सूचना आयुक्त ज्ञान प्रकाश मौर्य के कोर्ट की 271 फाइलें गायब हैं। पंकज ने गोपनीय पत्र में अपनी प्रशासनिक अव्यवस्था को दर्शाते हुए कहा है कि आयोग में अभी तक सुनवाई कक्षों के अभिलेखों के निरीक्षण की कोई प्रथा नहीं है। आयुक्तों से कहा है कि प्रत्येक आयुक्त कम से कम तीन माह में एक बार या तो स्वयं अपने सुनवाई कक्ष के समस्त कार्य का निरीक्षण कर ले अथवा सचिव के माध्यम से उस सुनवाई कक्ष के अभिलेखों के रखरखाव का निरीक्षण करा ले। इस सम्बंध में पंकज ने सूचनायुक्तों से सुझाव भी मांगे हैं। सीआईसी की नियुक्ति के तकरीबन दो साल पूरे होने वाले हैं अभी तक वे यह नहीं जान पाए कि आयोग की मूलभूत समस्याएं क्या हैं? आयोग में हालत यह है कि एक-एक कर्मचारी चार-चार कर्मचारियों का बोझ ढो रहा है। स्वाभाविक है कार्य के दबाव के चलते कामकाज प्रभावित होगा। बजाय सरकार को आयोग में कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के वे उनका शोषण करने पर तुले हैं। कर्मचारियों को परेशान करने की नियति से ही सीआईसी ने सूचना आयुक्तों से कहा है कि आयोग में एक ही पटल पर कर्मचारियों को कार्य करते हुए तीन या तीन से अधिक वर्ष हो गए हैं। इसलिए इनका पटल पर्वितन होना चाहिए। दरअसल ढाई हजार की तादात में फाइलों के न मिलने से सीआईसी हक्का-बक्का हैं। उन्हें अब अनुशासन याद आया है और इसीलिए उन्होंने कर्मचारियों से समयशीलता का पालन किए जाने को लेकर सुचना आयुक्तों से सुझाव भी मांगे हैं। सीआईसी ने सूचना आयुक्तों से ये सारे सुझाव 31 मार्च तक देने को कहा था। पंकज ने आयोग में लम्बित वादों की सुनवाई वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए कराए जाने का प्रस्ताव रखा है। डीएनए संवाददाता ने आयोग के करीब ढाई हजार फाइलों के गुम हो जाने के बाबत पंकज के मोबाइल नं.9415042277 पर सम्पर्क किया तो न उन्होंने फोन उठाया और न ही मैसेज भेजने पर भी प्रतिक्रिया दी।

3 comments:

  1. अंधेर नगरी....

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  2. एक अच्छा मुद्दा उठाया है आपने... ऐसे ही सकारात्मक लेखों की आवश्यकता है..

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  3. प्रशंसा के लिए धन्यवाद

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