Thursday 28 April 2011

मुझे बृजलाल से बचाओ

आपराधिक पृष्ठिभूमि का है सुभाष दूबे : एडीजी
रेलकर्मी ने राष्ट्रपति, पीएम व सीएम से लगाई गुहार

पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ का महामंत्री सुभाष दूबे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री मायावती से अपने प्राण रक्षा की गुहार लगा रहा है। उसे प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था बृजलाल से जान का खतरा है। उसने एडीजी पर आरोप लगाया है कि वे गोरखपुर के स्थानीय पुलिस प्रशासन पर दबाव डालकर फर्जी मुकदमे लगवा रहे हैं व गोरखपुर के ही अपराधी और माफिया ठेकेदारों से उसकी हत्या करा सकते हैं। एडीजी से भयभीत दूबे ने राष्ट्रपति से यहां तक कहा है कि फर्जी मुकदमों व अपराधियों के हाथों मरने के बजाय उसे इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दी जाय। रेलवे कर्मचारी नेता ने डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट को बताया कि बृजलाल जब 1996 से लेकर 2003 तक रेलवे में मुख्य सुरक्षा आयुक्त थे तब उसने पूर्वोत्तर रेलवे में बसों की आपूर्ति के ठेकों में करोड़ों का घोटाला, पूर्वोत्तर रेलवे के महाप्रबंधक द्वारा मुकदमों की पैरवी में 10 लाख रुपए से ज्यादा खर्च करना तथा लखनऊ में भर्ती बोर्ड खोलने जैसे फिजूल खर्ची के विरुद्ध आवाज उठाई थी। उस समय बृजलाल ने महाप्रबंधक सोमनाथ पांडेय पर अपना वर्चस्व कायम करने के लिए उसके खिलाफ लगातार फर्जी मुकदमे लगवाए। थाने का हिस्ट्रीशीटर व गैंगेस्टर बनवा दिया। पुलिस ने उसे राजन तिवारी गिरोह का सदस्य बना दिया। जिन गिरोहों की बात पुलिस कर रही है मेरे खिलाफ एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है। क्या इतने बड़े गिरोह से जुड़ने के बाद मेरे अपराध का कार्यक्षेत्र गोरखपुर स्थित शाहपुर थाना तक ही सीमित है? मेरे खिलाफ अधिकांश मुकदमों में वादी सिर्फ पुलिस ही क्यों है? अगर मैं या मेरे परिवार में कोई ठेकेदार है या मैं किसी ठेकेदार के लिए कार्य करता हूं तो प्रशासन इसे साबित क्यों नहीं करता? मेरी गलती इतनी है कि मैं रेलवे के उन भ्रष्ट अफसरों के सामने नहीं झुका जो रेल विभाग को अपनी जागीर समझते हैं। तत्कालीन मुख्य सुरक्षा आयुक्त बृजलाल अपने निजी स्वार्थ व अनैतिक लाभ तथा महाप्रबंधक सोमनाथ पांडेय को प्रभाव में लेने के लिए अधिकारों का दुरुपयोग करते रहे। मेरे साथियों का ट्रांसफर करा दिया। हत्या करवाने की साजिश के तहत मुझे सितंबर 2000 में फर्जी मुठभेड़ में गिरफ्तार दिखाकर जेल भेज दिया। बृजलाल से तंग आकर सुभाष दूबे 18 जनवरी 2001 को विधानसभा के सामने आत्मदाह करने की कोशिश भी कर चुका है। यही नहीं रेलवे के तत्कालीन मुख्य सुरक्षा आयुक्त ने 1997 में उसका ट्रांसफर समस्तीपुर डिवीजन में करवा दिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उसके ट्रांसफर आदेश पर रोक लगा दी थी जिससे वे और नाराज हो गए। बृजलाल ने सुभाष को गोरखपुर में कार्यालय अधीक्षक के पद पर कार्यभार भी ग्रहण नहीं करने दिया था। दूबे ने बताया कि बृजलाल के मुख्य सुरक्षा आयुक्त के कार्यकाल में 10 मुकदमे दर्ज कराए गए थे जिसमें आठ में पुलिस वादी है। सभी मुकदमे समाप्त हो चुके हैं। दूबे के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए एडीजी बृजलाल ने डीएनए को बताया कि वह आपराधिक पृष्ठिभूमि से जुड़ा है। उसके खिलाफ 45 क्रिमिनल के मामले हैं। एडीजी ने कहा कि वे जब मुख्य सुरक्षा आयुक्त हुआ करते थे तब यह सामान्य सा क्लर्क बड़े-बड़े अफसरों को पीट दिया करता था। उसने अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि छिपाकर रिवॉल्वर समेत तीन अन्य शस्त्रों का लाइसेंस प्राप्त कर लिया था। इसके पास करोड़ों की सम्पत्ति है। सुभाष दूबे के खिलाफ एक मुकदमा चेन्नई में भी दर्ज हुआ है। मेरी इससे कोई दुश्मनी नहीं है। यह मेरे स्तर का ही नहीं है।

1 comment:

  1. अब तो इसका भगवान ही मालिक है | दो चार हाथ शुरू में ही करके समेट देना चाहिए था | अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद |
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