Wednesday, 6 April 2011

गरीबों को दांव भ्रष्टाचार में पांव

गरीबों के इलाज का 95.79 लाख नहीं दे रहीं बीमा कम्पनियां
526,819 में से सिर्फ 1684 बीपीएल परिवारों का इलाज


यूपी में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही कल्याणकारी योजनाओं का कोई पुरसाहाल नहीं है। खासकर केन्द्रीय योजनाओं में तो अफसर बिल्कुल बेपरवाह होकर खानापूर्ति करते हैं और फायदा दूसरे उठाते हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना का भी वही हाल है। पहले निजी अस्पतालों ने गरीबों के पैसों का बंटाढार किया अब बीमा कम्पनियां इस योजना को ठिकाने लगाने में जुटी हैं। योजना के तीसरे चरण में महज 14 जिलों में बीमा कम्पनियों ने करीब 96 लाख रुपए गरीबों के इलाज के पैसों का भुगतान नहीं किया है।

ग्राम्य विकास मंत्री हर महीने समीक्षा बैठक करते हैं और उनके सामने यह आंकड़े रखे जाते भी हैं। इस योजना में मंत्री अगर संजीदा होते तो सरकारी अस्पतालों को वरीयता देने के बजाय निजी अस्पतालों को गरीबों के इलाज का जिम्मा सौंप कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा न देते। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तृतीय चरण की बात करें तो सिर्फ 14 जिलों में गरीबों का इलाज 180 निजी अस्पतालों को सौंप दिया गया। इसके ठीक विपरीत 91 सरकारी अस्पताल इस योजना से जोड़े गए। इससे भी ज्यादा हैरत वाली बात तो यह है कि 14 जिलों में 1684 बीपीएल धारक गरीबों ने ही इलाज कराया, जबकि इन जिलों में 526,819 स्मार्ट कार्ड बांटे गए थे। यह ऐसा इसलिए है कि गरीब निजी अस्पतालों में इलाज कराने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता है। दूसरे, सरकारी अस्पतालों में लापरवाही इतनी है कि डॉक्टर से लेकर चिकित्सा अधीक्षक तक गरीबों को सुनने के लिए तैयार नहीं होते हैं।

दरअसल गरीबों के इलाज के नाम पर बीमा कम्पनियां अपना खेल दिखा रही हैं। पिछले एक साल में 14 जिलों के जिन 1684 बीपीएल धारक गरीबों ने अपने स्मार्ट कार्ड पर इलाज की सुविधा प्राप्त की उसमें अस्पतालों ने 102.14 लाख रुपए का दावा बीमा कम्पनियों को प्रस्तुत किया। इसके एवज में बीमा कम्पनियों ने सिर्फ 5.75 लाख रुपए भुगतान किया है। सूत्र बताते हैं कि बीमा कम्पनियों के पास 95.79 लाख रुपए भुगतान का मामला लम्बित है।

उल्लेखनीय है कि 14 जिलों में क्रमश: अलीगढ़ में 13,134 बीपीएल परिवारों को, बलरामपुर में 46,712, बरेली में 53,872, इटावा में 35,759, फरुखाबाद में 30,150, फिरोजाबाद में 13,477, जालौन में 37,489, कन्नौज में 28,666, लखनऊ में 32,402, मैनपुरी में 44,352, मथुरा में 13,544, मऊ में 33,578, प्रतापगढ़ में 53,480 और उन्नाव में 90,204 स्मार्ट कार्ड वितरित किए गए थे। इन जिलों के शहरी इलाकों से कुल 168,725 बीपीएल परिवारों को तथा 1,678,124 ग्रामीण बीपीएल परिवारों को राष्ट्रीय स्वाथ्य बीमा योजना की सुविधा देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। लक्ष्य के विपरीत मात्र 1684 बीपीएल कार्ड धारक गरीबों जिसमें ज्यादातर अनुसूचित जाति व जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के लोग हैं, यह सुविधा किसी प्रकार मयस्सर हुई है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत सरकारी अफसरों की सोच का ही नतीजा है या यूं कहें कि उनकी सेटिंग निजी अस्पतालों से हो जाने की ही वजह से शायद योजना लगभग फ्लाप हो चुकी है। मात्र लखनऊ में ही 60 निजी अस्पतालों को गरीबों की योजना के पैसों में बंदरबांट के लिए खुली छूट दे दी गई। इसके विपरीत 18 सरकारी अस्पतालों को ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना से जोड़ा गया। डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट ने बीमा कम्पनियों द्वारा भुगतान न किए जाने के बाबत ग्राम्य विकास आयुक्त संजीव कुमार से पूछा तो उन्होंने कहा कि बीमा कम्पनियां भुगतान नहीं करेंगी तो जाएंगी कहां।

1 comment:

  1. आपके ब्लॉग पे आया, दिल को छु देनेवाली शब्दों का इस्तेमाल कियें हैं आप |
    बहुत ही बढ़िया पोस्ट है
    बहुत बहुत धन्यवाद|

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