Monday, 18 April 2011

455 करोड़ पार कर देते अफसर

 60 जिलों के डीपीआरओ का कारनामा
दूसरे प्रदेशों में थी पैसे भेजने की तैयारी
 
यूपी में केंद्र सरकार द्वारा भेजे 455.6361 करोड़ रुपए को हड़पने के लिए जिलों के अफसरों में होड़ मची है। इन पैसों पर हाथ साफ करने के लिए जिला पंचायतराज अधिकारियों ने गलत खाते विभिन्न लीड बैंकों को भेज दिए। अफसरों ने विभिन्न पंचायतों के खातों का ब्यौरा भेजने के बजाय व्यक्तिगत खातों का विवरण भेज दिया है। सबसे चौकाने वाली बात तो यह है कि इतनी बड़ी रकम को अफसर बैंक खातों के जरिए दूसरे प्रदेशों में ठिकाने लगाने के षड्यंत्र रच रहे थे।

लगता है सरकारी अफसरों पर सूबे की मुखिया की लगाम ढीली पड़ चुकी है। सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 13 वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के तहत वर्ष 2010-11 में भारत सरकार से 455.6361 करोड़ रुपए इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफर द्वारा पंचायतीराज संस्थाओं के बैंक खातों में पांच दिन के अन्दर हस्तांतरित की जानी थी। इस धन को ठिकाने लगाने के उद्देश्य से ही पंचायतों के खातों में हस्तांतरित करने के लिए जिला पंचायतराज अफसरों द्वारा उपलब्ध कराए गए ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों एवं जिला पंचायतों के बैंक खातों का गलत व भ्रामक विवरण लीड बैंकों को भेज दिया गया। लीड बैंकों ने जब अधिक संख्या में गलत खातों का विवरण देखा तो वे सन्न रह गए। बैंकों ने खातों को सही कराने के लिए सारे ब्यौरे जिलों में वापस भेज दिए हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि बगैर ऊंचे पदों पर बैठे अफसरों की मिलीभगत से जिला पंचायतराज अधिकारी इस तरह की गड़बड़ी का दुस्साहस नहीं कर सकते हैं। इसमें निश्चित रूप से बड़े अफसरों का हाथ है। सूत्रों का कहना है कि जिला पंचायतराज अफसरों ने तीनों पंचायतों के जो खाते उपलब्ध कराए हैं उसमें ज्यादातर व्यक्तिगत खाते हैं। और तो और कुछ खाते तो अन्य प्रदेशों के हैं। इतनी भारी तादात में गड़बड़ी के पीछे की मंशा साफ है। बैंक अगर समय रहते इन खातों की पड़ताल न करते तो अरबों रुपए भ्रष्ट अफसरों की जेब में चले जाते। जानकारी के अनुसार लीड बैंकों ने जिलों के जिन गलत खातों की संख्या का ब्यौरा दिया है उनमें गाजियाबाद से 77, मुरादाबाद से 103, मथुरा से 31, गौतमबुद्धनगर से 41, बागपत से 73, मेरठ से 73, छत्रपति शाहूजी महराजनगर से 207, शाहजहांपुर से 60, सिद्धार्थनगर से 11, फतेहपुर से 16, अंबेडकरनगर से 78, फैजाबाद से 167, बरेली से 504, रामपुर से 6, प्रतापगढ़ से 238, महाराजगंज से 61, पीलीभीत से 34, सुलतानपुर से 235, इलाहाबाद से 60, बिजनौर से 47, झांसी से 18, मुजफ्फरनगर से 115, सहारनपुर से 62, बुलंदशहर से 3, ललितपुर से 42, बदायूं से 12, बहराइच से 2, बस्ती से 41, बलरामपुर से 6, कानपुर से 416, मऊ से 11, महामायानगर से 23, मिर्जापुर से 88, हमीरपुर से 3, हरदोई से 30, संतकबीरनगर से 206, सोनभद्र से 56, उन्नाव से 69, वाराणसी से 19, फरुखाबाद से 1, जेपीनगर से 46, जालौन से 28, आजमगढ़ से 90, आगरा से 34, अलीगढ़ से 36, गोंडा से 20, गोरखपुर से 73, चंदौली से 270, जौनपुर से 40, गाजीपुर से 61, कांशीरामनगर से 110, एटा से 4, खीरी से 7, बलिया से 6, बहराइच से 13, बांदा से 2, महोबा से 24, चित्रकूट से 4, श्रावस्ती से 4 व सीतापुर से 1 गलत खाता भेजा गया था। अफसर दबी जुबान में कह रहे हैं कि जिलों से भेजे गए गलत खातों से यह स्पष्ट है कि जिला पंचायतराज अफसरों द्वारा जनपद स्तर पर खातों का विवरण तैयार करने में घोर शिथिलता व लापरवाही बरती गई है। मगर पंचायतीराज निदेशक व विशेष सचिव डीएस श्रीवास्तव ने कहा कि सारी गलती बैंकों की है।

2 comments:

  1. .क्या होगा इस देश का ? विचारणीय पोस्ट कब तक चलता रहेगा यह सब ? यह सब प्रश्न उत्तर विहीन लगते है अब !

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  2. इतने सारे आंकड़ों को समझना मुश्किल है. काहे को सर खपाएं? लेकिन इतना तो समझ में आ रहा है कि हमारा पढ़ा-लिखा तबका पक्का चोर बन गया है. क्यों भैया, UP में ऐसे चोरों के खिलाफ संगठित अपराध कानून लागू करने का कोई प्रावधान नहीं है? कितना अच्छा होता कि इन अफसरों के मान-बाप जीते-जी अपने बेटों को जेल में बंद देख पाते...!

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