Monday 11 April 2011

अब जादूगरों से भी मनोरंजन कर!


कहा, पार्लर, साइबर कैफे कर के दायरे में हों
होटल व बारात घरों में संगीत पर भी लगे कर

प्रदेश सरकार अब परम्परागत जादू कला पर भी मनोरंजन कर वसूलने का इंतजाम बना रही है। इसके साथ ही सरकार की नजरें सूचना प्रौोगिकी के क्षेत्र में निरंतर हो रहे विस्तार एवं प्रगति पर भी हैं जहां उसे मनोरंजन कर वसूलने के पर्याप्त dोत दूर से ही दिखाई पड़ रहे हैं। लिहाजा सरकार कम्प्यूटर व इंटरनेट से आडियो-वीडियो गानों तथा फिल्म्स की डाउन लोडिंग करने वाले पार्लरों एवं साइबर कैफे को भी मनोरंजन कर के दायरे में घसीटने की तैयारी कर रही है।

सरकार की नजरें इन दिनों कमाई करने वाले विभागों पर हैं। कहां से कितना पैसा टैक्स के रूप में और निकाला जा सकता है, इसके लिए सभी विभागों के प्रमुख सचिवों और विभागीय मंत्रियों को लगा दिया गया है। मार्च महीने में मनोरंजन कर मंत्री नकुल दुबे ने समीक्षा बैठक के दौरान ही कह दिया था कि अफसर आमोद के नए dोत तलाशें जिससे राजस्व वसूली का दायरा और बढ़ाया जाय। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कई सहायक आयुक्तों ने प्रमुख सचिव को मनोरंजन कर वसूलने के जो सुझाव दिए हैं, कई एक तो बेहद चौकाने वाले हैं। आगरा के एक सहायक आयुक्त ने तो जादू प्रदर्शनों पर मनोरंजन कर लगाए जाने का सुझाव सरकार को दिया है। प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में सहायक मनोरंजन कर आयुक्त ने कहा है कि जादू पर मनोरंजन कर देय नहीं है। वर्तमान में ओपी शर्मा जैसे जादूगर बड़े स्तर पर जादू प्रदर्शनों का आयोजन करते हैं। ये टिकट दर बहुत ऊंची दामों पर रखते हैं। आगरा में जादूगर द्वारा लगभग 50 लाख की अनुमानित आय हुई है। यदि इस पर कम से कम 25 प्रतिशत की दर से मनोरंजन देय होता तो भी लगभग 12.50 लाख रुपए की राजस्व प्राप्ति हो सकती थी। मालूम हो कि जादू जैसे परम्परागत मनोरंजन प्रदान करने वाली कलाएं आज लुप्त होती जा रही हैं। सरकार को इन्हें प्रोत्साहन व संरक्षण देने के बजाय मनोरंजन कर के दायरे में घसीटने से जादूगर जैसी प्रतिभाएं प्रभावित होंगी। अब होटल व बारात घरों में बजने वाले डीजे सिस्टम एवं वीडियो स्क्रीन लगाने पर भी मनोरंजन कर वसूलने की तैयारी सरकार कर रही है। चूंकि आजकल होटल्स और बारात घरों में शादी-विवाह का प्रचलन है। इन आयोजनों के लिए होटल स्वामी व बारात घर संचालक अच्छी आमदनी कर रहे हैं। इसलिए मनोरंजन कर अधिकारी यह कह रहे हैं कि इनसे शादी-विवाह के आयोजनों के लिए वसूल की जा रही राशि के अनुसार एकमुश्त मनोरंजन कर निर्धारित किए जाने से राजस्व की अतिरिक्त आय बढ़ जाएगी। राज्य सरकार मल्टीप्लेक्स सिनेमा घरों के लिए निर्धारित लाइसेंस फीस सिंगल स्क्रीन सिनेमाओं की अपेक्षा अधिक करने जा रही है। इसके लिए कई मनोरंजन कर अधिकारियों ने सरकार को सुझाव भी सुझाए हैं।

अधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मल्टीप्लेक्स सिनेमाओं के लिए सालाना लाइसेंस फीस अन्य सिनेमाओं से पांच गुनी किए जाने से अच्छी राजस्व की आय सरकार को प्राप्त होगी। इसके साथ ही सरकार होटलों में केबिल ऑपरेटरों की सेवाओं का मनोरंजन कर होटलों से ही वसूल करेगी। अभी तक कई होटलों के मालिक यह कहते रहें हैं कि होटल में केबिल सुविधा के लिए देय मनोरंजन कर केबिल आपरेटरों से वसूलना चाहिए। यही नहीं विभागीय अधिकारियों ने सरकार से आबकारी विभाग की तरह कर निर्धारण, पेनाल्टी, अपराध व शमन आदि मामलों में मनोरंजन कर अधिकारियों को और अधिकार दिए जाने की मांग की है।

2 comments:

  1. आपके ब्लॉग पे आया, दिल को छु देनेवाली शब्दों का इस्तेमाल कियें हैं आप |
    बहुत ही बढ़िया पोस्ट है
    बहुत बहुत धन्यवाद|

    यहाँ भी आयें|
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  2. सरकार भिखारी होती जा रही है, वो सभी क्षेत्र जहाँ जनसामान्य के लिये सरकार को योगदान देना चाहिये वहाँ से छिनने की तैयारी में जुटी हुई है । सर्कस भी ऐसा ही अभावग्रस्त क्षेत्र हो गया है ।

    चाहत की कीमत


    तर्क और तकरार

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