पैसों के डाइवर्जन के तहत राष्ट्रीय ग्राम स्वरोजगार योजना के 93916 लाख रुपए से होगा क्षेत्र पंचायतों का कम्प्यूटरीकरण
पंचायतीराज विभाग केंद्र सरकार से मिल रहे अरबों रुपए को मनमाने तरीके से खर्च करने का बहाना ढूंढता रहता है। पैसों के डाइवर्जन में लगी सूबे की सरकार के इशारे पर चल रहे अफसर कागजों पर नित नई तरकीबों को इजाद करते रहते हैं। पंचायतों के कम्प्यूटरीकरण के लिए मिले 62 करोड़ रुपए शुद्ध पेयजल व अन्य मद में खर्च करने का बहाना बनाया गया तो अब क्षेत्र पंचायतों को कम्प्यूटरीकृत बनाने के लिए राष्ट्रीय ग्राम स्वरोजगार योजना के करोड़ों रुपयों में हेरफेर का तानाबाना अफसरों ने तैयार कर लिया है।
विभागीय अफसरों ने क्षेत्र पंचायतों में स्थापित सहायक विकास अधिकारियों के कार्यालय को क्षेत्र रिसोर्स सेंटर के रूप में क्रियाशील करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। राष्ट्रीय ग्राम स्वरोजगार योजना वाले 38 जिलों के 399 क्षेत्र पंचायतों को हाईटेक बनाने के लिए प्रति क्षेत्र पंचायत में 33440 रुपए की लागत से डेस्कटॉप प्री लोडेड सिस्टम, 11606 रुपए की लागत से लेजर प्रिंटर, 45370 रुपए की लागत से ऑन लाइन यूपीएस तथा 3500 की लागत से इंटरनेट कनेक्शन के लिए एकमुश्त धनराशि की स्वीकृति दे दी गई है। कम्प्यूटरीकरण के लिए यह पैसे इस योजना से खर्च किए जाएंगे। जबकि 12 वें वित्त आयोग से पंचायतों के कम्प्यूटरीकरण के लिए 62 करोड़ रुपए से अधिक की धनराशि विभाग को मिली थी। इन पैसों को अफसरों ने पेयजल तथा अन्य कामों पर खर्च दिखा दिया। जब कम्प्यूटरीकरण करना ही थी तो राष्ट्रीय ग्राम स्वरोजगार के पैसों को क्यों खर्च किया जा रहा है? यह सवाल अफसरों को कटघरे में खड़ा करता है। इससे केंद्र के पैसों को इधर से उधर खर्च करने के बहाने के पीछे का मतलब साफ नजर आता है।
बीते मार्च महीने में पंचायतीराज विभाग के पूर्व सचिव आलोक कुमार राष्ट्रीय ग्राम रोजगार के धन को कम्प्यूटरीकरण के मद में खर्च करने का आदेश तो कर गए मगर असली खेल कम्प्यूटरीकरण के नाम पर सामानों की खरीद-फरोख्त में शुरू हो गया है जहां लाखों के हेरफेर का तानाबाना बुना जाएगा। अब देखना यह है कि अधिकारी क्रय निर्माता कम्पनी के अधिकृत डीलर से खरीदते हैं या कुछ और सब्जबाग तैयार करते हैं। विभागीय अफसरों ने राष्ट्रीय ग्राम स्वरोजगार योजना वाले जिलों के क्षेत्र पंचायतों में स्थापित सहायक विकास अधिकारियों के कार्यालय को क्षेत्र पंचायत रिसोर्स सेंटर के रूप में चालू कर दिया है। यही नहीं विभाग ने इसमें एक और गड़बड़झाला पैदा कर दिया है कि राष्ट्रीय ग्राम स्वरोजगार योजना वाले जिलों में बीआरजीएफ की प्रबंध इकाई यानि डीपीएमयू गठित हो गई है। डीपीएमयू रिसोर्स सेंटर में बैठे अफसरों को बाकायदा प्रशिक्षण देने के बहाने पैसों का वारा न्यारा करेगा। योजनाओं के जरिए झोल फैला रहा पंचायतीराज विभाग किसी भी एक योजना को सुचारु रूप से चलने नहीं दे रहा है। बीआरजीएफ एक अलग बड़ी योजना है और केंद्र सरकार अरबों रुपए विकास के लिए पिछड़े जिलों में देती है।