रिकवरी के पैसों को खा गए अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के अफसर
विधायक निधि के दुरुपयोग में फंसे अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ राज्य मंत्री फूलबाबू समेत उनके विभाग के तमाम छोटे से लेकर बड़े अफसर तक भ्रष्टाचार में फल-फूल रहे हैं। अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम लि. में आलम यह है कि शायद ही कोई ऐसा अफसर और कर्मचारी होगा जिसने भ्रष्टाचार की गंगा में न नहाया हो। मंत्री जी के खिलाफ तो शिकायतें ऐसी-ऐसी हैं जिसे सुनकर होश फाख्ता हो जाते हैं। एक शिकायतकर्ता ने तो लोकायुक्त को लिखे पत्र में यहां तक कहा है कि मंत्री जी जागते में भी सोते दिखते हैं। वे बगैर दलालों के बात नहीं करते। जिला बिजनौर स्थित कम्प्यूटर सेंटर चलाने वाले परवेज अख्तर ने लोकायुक्त को लिखे शिकायती पत्र में कहा है कि मंत्री फूलबाबू जागते में भी सोते दिखते हैं। उनके पास पहुंचते ही एक सरकारी और एक प्राइवेट दलाल कमीशन की बात तय करते हैं। उसी के अनुसार मंत्री जी राजी होते हैं। जब किसी अधिकारी के खिलाफ कोई मामला कार्रवाई के लिए आता है तो पहले मंत्री जी के यहां भरपूर रिश्वत खाई जाती है। फिर अगले दिन से उस अधिकारी को मंत्री अपना रिश्तेदार बताने लगते हैं। शिकायतकर्ता परवेज ने आरोप लगाते हुए फूलबाबू के अधीनस्थ कार्य करने वाले भ्रष्ट अफसरों की करतूतों को बेनकाब किया है। उसके गंभीर आरोपों की फेहरिश्त में अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम के प्रबंधक मसऊद अख्तर का नाम भी है। निगम के एक रिकवरी सहायक परमानंद की मौत से जुड़े मामले का उल्लेख करते हुए परवेज ने लिखा है कि मसऊद अख्तर ने उसे रेगुलर करने का लालच देकर फर्जी रशीदों के माध्यम से 11 लाख रुपए प्राप्त किया तथा घर का व्यक्तिगत काम कराते रहे। निगम के एक और बड़े अफसर लईक अहमद ने भी परमानंद को लालच देकर फर्जी रसीदों के माध्यम से 70 हजार रुपए ले लिए। फील्ड आफीसर अब्दुल कादिर ने मृतक रिकवरी सहायक से 65 हजार रुपए तो लिए ही हजारों रुपए का गेहूं, चावल लिया तथा सालों घर पर नौकर की तरह रात 12 बजे तक काम लेते रहे। लोकायुक्त को लिखे पत्र में कहा गया है कि तीनों बड़े अफसरों द्वारा रिकवरी सहायक को रेगुलर करने के नाम पर ब्लैक मेल करने तथा उल्टा उसे ही फसाने के सदमें से उसकी मौत हो गई। शासन के उप सचिव मो. शफीक ने दो मार्च 2010 को तत्कालीन प्रबंध निदेशक को लिखे पत्र में निर्देश दिया था कि मृतक परमानंद के मामले में जांच उपरांत नियमानुसार कार्रवाई की जाय। रिकवरी सहायकों से पैसा वसूलने का धंधा यहीं तक सीमित नहीं है। एक और वसूली सहायक राजेश मान सिंह तथा सहायक रामरेखा प्रसाद ने पांच फरवरी 2010 को एक पत्र अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को लिखा जिसमें कहा गया कि लखनऊ तथा आसपास वसूली करने से मिली रकम में से आधा संयुक्त प्रबंध निदेशक लईक अहमद ले लेते थे। राजेश मान सिंह ने प्रमुख सचिव को बताया कि लईक ने उससे डेढ़ लाख रुपए ले रखा है। फील्ड आफीसर खुर्शीद अहमद भी लगभग 60 हजार रुपए रिकवरी के ले चुके हैं। मृतक परमानंद ने भी तीनों बड़े अफसरों के खिलाफ फर्जी रसीदों को उपलब्ध कराकर लाखों रुपए लेने का आरोप लगाया था। निगम के एक ड्राइवर विकास चन्द्र भारती ने लईक अहमद के खिलाफ मुख्यमंत्री से शिकायत भी की है। जब फूलबाबू से उनके फोन न. 9415607716 पर सम्पर्क किया गया तो घंटी बजती रही लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया।
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