Friday 19 August 2011

पारसनाथ ने ऐंठ लिए 15 लाख

पिछड़ों की सूची में शामिल करने के लिए दोसर वैश्य से की वसूली
बेटे के दहेज में मिली कार को सम्बद्ध कर ले रहे सरकारी पैसा
पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव ने की राज्यपाल से शिकायत

 बसपा सरकार में सिर्फ एक ही अवधपाल सिंह यादव नहीं हैं बल्कि भ्रष्टाचार में और कइयों के हाथ सने हैं। पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष एवं राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त पारसनाथ मौर्य भी उनमें से एक हैं जिन पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, यह जानने के बावजूद सूबे की मुखिया मायावती उनके कारनामों को नजरअंदाज कर आयोग के अध्यक्ष पद पर बैठाए हुए हैं। पारसनाथ के विरुद्ध भ्रष्टाचार की सारी हदें पार कर जातियों को पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल करने के नाम पर लाखों रुपए लेने का गंभीर आरोप लगा है। यह आरोप किसी सामान्य व्यक्ति ने नहीं अपितु यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव ने लगाया है कि पारसनाथ ने दोसर वैश्य जाति को पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल करने के नाम पर 15 लाख रुपए ऐंठ लिए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव ने राज्यपाल को लिखे पत्र में इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो वकीलों संजय राजपूत व रमेश चन्द्र द्वारा पारसनाथ मौर्य पर गंभीर आरोपों का हवाला देते हुए कहा है कि आयोग अध्यक्ष ने दोसर वैश्य जाति को पिछड़े वर्ग की सूची में शामिल करने के नाम पर लगभग 15 लाख रुपए एेंठ लिए हैं। यही नहीं श्री मौर्य ने अपनी दो बेटियों की शादी में पूरी व्यवस्था का खर्च दोसर जाति के संगठन के पदाधिकारियों से लिया है। आयोग अध्यक्ष द्वारा जिन जातियों की संस्तुतियां की गई हैं उनसे इस प्रकार धन लिया गया है। 


 श्री यादव ने राज्यपाल को यह भी लिखित शिकायत की है कि पारसनाथ के पुत्र राजीव रत्न को दहेज में प्राप्त अंबेसडर कार संख्या यूपी 32-ओजे 9805 का आयोग अध्यक्ष द्वारा अपनी पहुंच के बल पर राज्य सम्पत्ति विभाग से सम्बद्ध कराते हुए अपने साथ सम्बद्ध कराकर फर्जी यात्रा दिखाते हैं और पेट्रोल आदि का भुगतान स्वयं लेते हैं। जबकि वे यात्रा आयोग के वाहन संख्या यूपी 32 बीजी 5005 से करते हैं। पिछड़ा वर्ग आयोग अध्यक्ष ने वाहनों के जरिए भ्रष्टाचार करने की अच्छा तरकीब ढूंढ़ निकाली है। पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को यह भी बताया है कि शासन द्वारा आयोग में तैनात सचिव के उपयोग के लिए एक अंबेस्डर कार संख्या यूपी 32 बीजी 5005 वर्ष 2009 में आयोग को दी गई है। पारसनाथ मनमाने ढंग से इसका उपयोग अपने तथा परिवार के लिए करते हैं। इसके साथ ही चूंकि उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त है इसलिए इनको एक कार राज्य सम्पत्ति विभाग द्वारा प्रदत्त है। ईंधन आदि का व्यय विभाग द्वारा ही वहन किया जाता है। बावजूद इसके सचिव के लिए नामित कार का भी वह इस्तेमाल कर रहे हैं। आयोग के सचिव को मिली कार संख्या यूपी 32 बीजी 5005 जिसका वर्ष 2010 में पारसनाथ मौर्य के यात्रा भ्रमण के दौरान हरदोई में एक्सीडेंट हुआ था उसको बनवाने में लाखों रुपए का व्यय किया गया है। दुर्घटना की कोई एफआईआर नहीं दर्ज कराई गई जो सरकारी धन का दुरुपयोग है। पूर्व मुख्यमंत्री के अन्य आरोपों में आयोग अध्यक्ष पर सैंथवार मल्ल को पिछड़े वर्ग की सूची में अलग क्रमांक पर रखने की संस्तुति के बदले लाखों रुपए का सौदा करना भी शामिल है। जिसका साक्ष्य अंबेडकर टुडे में छपे विज्ञापन से स्पष्ट है। पारसनाथ मौर्य के विरुद्ध पूर्व मुख्यमंत्री रामनरेश यादव द्वारा लगाए गए गंभीर आरापों पर राज्यपाल के विशेष सचिव एम देवराज ने पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव से जांच कराने को लिखा है। श्री यादव द्वारा लगाए गए आरोपों पर आयोग अध्यक्ष ने डीएनए से कहा कि कोई कुछ भी आरोप लगा सकता है। उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट शासन को गई है।

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