गाय-भैंस के प्रजनन के पैसों को खर्च करने का आरोप
पैसा अफसर खर्च करते हैं : अवधपाल
पैसा अफसर खर्च करते हैं : अवधपाल
सूबे के पशुधन एवं दुग्ध राज्य मंत्री अवधपाल सिंह यादव के अपराधों और भ्रष्टाचार की फेहरिस्त बहुत लम्बी है। दबंग मंत्री ने विभाग को ऐसा कंडम बना दिया है कि आने वाले कई वर्षो तक पशुधन व दुग्ध विकास विभाग जल्दी उबर नहीं पाएगा। वर्ष 2010-11 में राष्ट्रीय गाय-भैंस प्रजनन परियोजना के लिए मिले 980 लाख रुपयों में से 335 लाख रुपए मंत्री जी ने कहां खर्च कर दिए यह किसी को नहीं मालूम है। यही नहीं मंत्री जी अफसरों को ब्लैकमेल करने में भी बड़े उस्ताद हैं। उन्होंने पशुधन विभाग के निदेशक डा. रुद्र प्रताप पर भ्रष्टाचार के 19 गंभीर आरोप लगाए, जांच कराई और जांच रिपोर्ट की फाइल दो साल से अपने पास दबाए बैठे हैं। और ताज्जुब वाली बात ये कि निदेशक भी अपने कुर्सी पर यथावत बैठे हुए हैं।
विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रदेश पशुधन विकास परिषद को भौतिक एवं वित्तीय प्रगति वर्ष 2010-11 में राष्ट्रीय गाय-भैंस प्रजनन परियोजना के द्वितीय चरण के लिए विभाग को कुल 980 लाख रुपए प्राप्त हुए थे। इस मद में प्राप्त धनराशि 980 लाख में से 477.610 खर्च किया गया। विभाग के 168.05 लाख रुपए शेष बचा है। खर्च धनराशि एवं शेष धनराशि 645.625 लाख रुपए ही होता है। इस मद का करीब बाकी 335 लाख रुपयों का कोई अता-पता नहीं है। मंत्री जी अपने विभाग के अफसरों से भी काम लेना बखूबी जानते हैं। पहले आरोप लगाते हैं। फिर जांच कराते हैं। और फिर अपना उल्लू सीधा करते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अवधपाल ने अपने ही विभाग के निदेशक डा. रुद्र प्रताप पर 19 बिन्दुओं पर गंभीर आरोप लगाए। तत्कालीन मुख्य सचिव अतुल कुमार गुप्ता को पत्र लिखकर जांच कराया। तत्कालीन प्रमुख सचिव चंचल कुमार तिवारी ने जांच की। श्री तिवारी ने कुल सात बिन्दुओं पर पशुधन निदेशक डा. रुद्र प्रताप को गंभीर रूप से दोषी पाया।
उन्होंने अपनी रिपोर्ट प्रमुख सचिव पशुधन को सौंप दी। इस जांच रिपोर्ट पर प्रमुख सचिव स्तर से कोई कार्यवाई नहीं हुई। पता चला है कि इस प्रकरण की पत्रावली मंत्री जी ने अपने पास मंगाकर करीब दो साल से रख रखी है। मालुम हो कि पशुधन विभाग के वर्तमान निदेशक डा. रुद्र प्रताप के पास तीन वर्षो से निदेशक के अतिरिक्त करीब 11 अन्य चार्ज नियम विरुद्ध हस्तगत किए गए थे। विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ में जैसे ही इन बिन्दुओं पर एक जनहित याचिका दाखिल कर नियमों की अवहेलना एवं भ्रष्टाचार के जांच की मांग की गई तो आनन-फानन में विभागीय प्रमुख सचिव द्वारा आदेश संख्या 1270/37-1-2011-5 (117/2007) लखनऊ दिनांक 18 मार्च 2011 द्वारा निदेशक से निदेशक के अतिरिक्त समस्त प्रभार वापस लेकर संयुक्त निदेशक प्रशासन सीआरके को हस्तगत करने का आदेश निर्गत कर दिया गया। तब विभागीय मंत्री अवधपाल द्वारा तत्कालिक रूप से लिखित आदेश जारी कर दिया गया कि प्रमुख सचिव पशुधन द्वारा जारी आदेश को निरस्त किया जाता है। मगर प्रमुख सचिव के आदेश का अनुपालन आज तक नहीं किया जा सका।
विधायक कुलदीप सिंह सेंगर विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की जांच की मांग कर चुके हैं। पता यह भी चला है कि 2007-08 एवं 2008-09 में चूजा खरीदने के क्रम में भी शासन द्वारा निर्धारित नियमों को दरकिनार कर करोड़ों रुपए की बंदरबाट करने के आरोप लगे हैं। डीएनए से सारे आरोपों पर अपनी प्रतिक्रिया में मंत्री अवधपाल ने कहा कि ये सारे आरोप मेरे राजनीतिक विरोधी का बेटा लगा रहा है। वह बेबुनियाद है। वह खुद अपराधी है। पैसा खर्च करने का काम अफसरों का है। निदेशक की जांच मैने कराई। थोड़े से बिन्दुओं की पुष्टि हुई है। फाइल उच्च आदेशों के लिए भेज दिया गया है।
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