विभागीय मंत्री लालजी वर्मा के इशारे पर हुए घपले के खेल
यूपी के सबसे बड़े अस्पताल एसजीपीजीआई में अब घोटाले परत दर परत खुलने लगे हैं। मरीजों के हितों के साथ खिलवाड़ करने का ठीकरा चिकित्सा शिक्षा मंत्री लालजी वर्मा और उनसे कदमताल कर रहे निदेशक आरके शर्मा पर फूटने भी लगा है। पता चला है कि पीजीआई में साइक्लोट्रोन मशीन खरीदने और उसको लगाने के लिए भवन बनाने में 2.5 करोड़ रुपए का भुगतान अनियमित तरीके से कर दिया गया। हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड का बेजा दुरुपयोग किया गया है। हॉस्पिटल इनफारमेशन सिस्टम के उच्चीकरण में 12 करोड़ रुपए की धांधली की गई है। मंत्री जी पर तो यह खुला आरोप भी लगने लगा है कि उनकी चहेती दवा कंपनियों को नियमों के विरुद्ध दवाइयों की खरीद में 20 करोड़ रुपए का घपला किया गया है। नेता विरोधी दल शिवपाल सिंह यादव ने पीजीआई में व्याप्त भ्रष्टाचार पर कहा कि यह सब मंत्री लालजी वर्मा के इशारे पर किया गया है। निदेशक डॉ. आरके शर्मा वही कर रहे हैं जो मंत्री जी उन्हें निर्देश दे रहे हैं। भ्रष्टाचार से अर्जित की गई बड़ी धनराशि मंत्री तक पहुंची है।घपला नं. एक- कार्यालय सहायक निदेशक स्थानीय निधि लेखा परीक्षा ने पीजीआई में साइक्लोट्रोन एवं इसकी स्थापना के लिए भवन बनाने में 2.50 करोड़ रुपए का घपला पकड़ा है। सहायक निदेशक अबुल फजल ने कहा है कि मशीन लगाने के लिए मैं गुजरात आइसेटोप लि. द्वारा प्रस्तुत टर्न के आधार पर 2.5 करोड़ के प्रस्ताव में लागत का 20 प्रतिशत कार्या आदेश जारी करते समय तथा शेष 80 प्रतिशत बैंक गारंटी के विरुद्ध अग्रिम भुगतान किया जाना अपेक्षित था। इस प्रस्ताव का परीक्षण सिविल अभियंत्रण विभाग से कराते हुए भवन निर्माण के विभिन्न स्तरों पर भुगतान किया जाना चाहिए था। फर्म द्वारा दी गई बैंक गारंटी भी अस्पष्ट व भ्रमपूर्ण थी।
..पत्रावली की नोटशीट पर इसके फर्म के पक्ष में होने की टिप्पणी अंकित थी जबकि इसे संस्थान के पक्ष में होना चाहिए था। इस बैंक गारंटी के विरुद्ध भुगतान किया जाना अनियमित था। इस प्रकार पीजीआई पर 10 लाख रुपए की अनियमित जिम्मेदारी डाली गई और अधिकारियों द्वारा 45 लाख रुपए का भुगतान फर्म को बैंक गारंटी के विरुद्ध कर दिया गया।
पीजीआई निदेशक डॉ. आरके शर्मा
स्थानीय निधि लेखा परीक्षा जैसी हजारों जांच हुआ करती हैं। मैं टेलीफोन पर बात नहीं करसकता हूं। आपफेस टू फेस बात करिए। मैं आपको अपने कागज दिखाऊंगा।
घपला नं. दो- हास्पिटल रिवाल्विंग फंड में बरती गई वित्तीय अनियमितताओं के सम्बंध में पुलिस अधीक्षक उत्तर प्रदेश सर्तकता अधिष्ठान, कानपुर द्वारा 28 जुलाई 2009 द्वारा पीजीआई लखनऊ से सूचना मांगे जाने के बावजूद भी सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई। आरोप यह लग रहा है कि इस घपले को दबाने का प्रयास मंत्री लालजी वर्मा के इशारे पर निदेशक डा. आरके शर्मा द्वारा किया जा रहा है। पुलिस अधीक्षक ने इस अनियमितता में तत्कालीन निदेशक महेन्द्र सिंह भंडारी, डा. आरके शर्मा, प्रो. पीके सिंह, डा. एके बरोनिया, एके चंदोली, हरेन्द्र श्रीवास्तव, आरए यादव, जुनेद अहमद, केके श्रीवास्तव, अरविंद अग्रवाल, पीसी खन्ना, अनिल श्रीवास्तव समेत 24 लोगों के बारे में सूचना मांगी थी मगर यह नहीं दी गई। इस प्रकार इसमें 20 करोड़ के भ्रष्टाचार की चर्चा है।
घपला नं. तीन- हास्पिटल इनफारमेशन सिस्टम के उच्चीकरण में भी करोड़ों रुपए का घपला किया गया। एचआईएस के उच्चीकरण के लिए 12 करोड़ रुपए की धनराशि मंजूर की गई थी। मंत्री लालजी वर्मा पर यह आरोप है कि उनके दबाव में यह कार्य मेसर्स एसआरआईटी बंगलौर को 2009 तक करने को दिया गया था मगर आज तक नहीं हुआ। योजना को साकार करने के लिए तीन फर्मो से निविदाएं प्राप्त हुई थीं। निविदा की शर्तो के अनुसार फर्म द्वारा साफ्टवेयर, हार्डवेयर उपकरणों की सप्लाई करना एवं स्थापना के लिए भवन निर्माण करना था।
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