Sunday 9 October 2011

भ्रष्टाचार के पुराने पुरोधा हैं निदेशक

पंचायतीराज विभाग के निदेशक ने पत्नी की कम्पनी को मालामाल किया
लखनऊ। पंचायतीराज विभाग में भ्रष्टाचार का मकड़जाल बुनने वाले निदेशक व विशेष सचिव डीएस श्रीवास्तव के हाथ बहुत पहले से ही भ्रष्टाचार के कीचड़ में सने हैं। यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन में तत्कालीन प्रबंध निदेशक व आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के विशेष सचिव साहब ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए न सिर्फ अपनी पत्नी की संस्था मे. इन्नोटेक इन्फोकॉम सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड को फायदा पहुंचाया बल्कि कम्प्यूटर प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 33,04,800 रुपए के फर्जी भुगतान का षड्यंत्र भी रचा था। तत्कालीन प्रबंध निदेशक व मौजूदा पंचायतीराज निदेशक को वित्तीय अनियमितता व अपने पद के दुरुपयोग के चलते 21 दिसंबर 2009 को निलंबित कर दिया गया था।

पीसीएस संवर्ग के 1979 बैच के अफसर दया शंकर श्रीवास्तव को तत्कालीन राज्यपाल ने 21 दिसंबर 2009 को यह कहते हुए निलंबित कर दिया था कि उन्होंने झूठ बोला कि मे. इन्नोटेक इन्फोकॉम सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी से उनकी पत्नी श्रीमती शशी श्रीवास्तव का कोई लेना-देना नहीं है। जबकि उनकी पत्नी कम्पनी में निदेशक थीं। शासन की नीतियों के विरुद्ध अपनी पत्नी की संस्था को 2.50 करोड़ की धनराशि से खोले गए कम्प्यूटर प्रशिक्षण केन्द्रों को उन्होंने हस्तांतरित कर दिया। 2.50 करोड़ का सम्यक उपयोग भी नहीं किया गया। मौजूदा पंचायतीराज निदेशक व इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन लि. के तत्कालीन प्रबंध निदेशक ने विभिन्न विभागों के ई-टेंडरिंग से सम्बंधित कार्यो का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन लि. के बजाय मे. इन्नोटेक इन्फोकॉम सोल्यूशन प्राइवेट लि. को करा कर वित्तीय अनियमितताएं की थीं। यही नहीं तत्कालीन प्रबंध निदेशक ने अपनी पत्नी की संस्था को अनुचित लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से प्रशिक्षण हेतु पूर्व में बनाई गई सभी फ्रेंचाइजीज को बंद कर बनाई गई नई फ्रेंचाइजी मे. इन्नोटेक कम्पनी को भुगतान किए जाने का नियम विरुद्ध आदेश भी दिया। कम्प्यूटर प्रशिक्षण से प्राप्त होने वाली आय का 95 प्रतिशत भाग अपनी पत्नी की कम्पनी के पक्ष में तथा पांच प्रतिशत भाग यूपी इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन लि. के पक्ष में देने का आदेश 22 दिसंबर 2008 को किया था। इसके अलावा शासकीय विभागों से 33,04,800.00 रुपए का फर्जी भुगतान अपनी पत्नी की कम्पनी को कराए जाने का षड्यंत्र भी तत्कालीन प्रबंध निदेशक ने रचा था। नियुक्ति विभाग ने राज्यपाल की ओर से 21 दिसंबर 2009 को जारी अपने आदेश में निलंबन की सजा डीएस श्रीवास्तव को सुनाई थी। नियुक्ति विभाग के प्रमुख सचिव व जांच अधिकारी कुंवर फतेह बहादुर सिंह ने कहा था कि मे. इन्नोटेक इन्फोकॉम सोल्यूशन प्राइवेट लि. कम्पनी श्रीमती शशी श्रीवास्तव के नाम से रजिस्ट्रार कम्पनी के आफिस में 11 दिसंबर 2008 को पंजीकृत हुआ है। इसमें डीएस श्रीवास्तव की पत्नी निदेशक हैं। प्रमुख सचिव ने इस प्रकरण में श्री श्रीवास्तव द्वारा शासन को झूठी सूचना देने का दोषी पाया था।गोयल को मुक्त नहीं कर रहे मीना

लखनऊ। पंचायतीराज विभाग का बेड़ा गर्क करने में और कई अफसर फुरसत के साथ जुटे हैं। एक विशेष सचिव ऐसे हैं कि उनका पिछले 29 सितंबर को ही विभाग से ट्रांसफर हो गया था। मगर उनकी योग्यता और कमर्ठता को देखते हुए विभाग के प्रमुख सचिव बीएम मीना ही उन्हें कहीं और नहीं जाने देना चाहते हैं। विभाग के विशेष सचिव राजेन्द्र कुमार गोयल ट्रांसफर होने के बावजूद न तो जाना चाहते हैं और न ही उन्हें विभाग के मुखिया मीना साहब जाने देने की इजाजत दे रहे हैं।

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