अधिशासी अभियंता ने डायरी वापस करने के लिए की दो लाख की पेशकश
डायरी में तीन विशेष सचिवों के नाम से हड़कंप
स्थान जनपथ मार्केट हजरतगंज, दिनांक 27 मई को एक डायरी पड़ी मिली। डायरी के पन्नों में कैद है भ्रष्टाचार के करोड़ों व लाखों रुपयों के बंदरबाट की कहानी। 27 मई को जनपथ सचिवालय से गुजर रहे त्रिभुवन कुमार गुप्ता नाम के एक वकील साहब को संयोग से वह डायरी हाथ लग गई। उन्होंने एक अखबार के जरिए डायरी के पाने की सूचना छपवाई। डायरी मालिक ने जब इसका संज्ञान नहीं लिया तो वकील साहब ने लाखों-करोड़ों की पोल खोलने वाली इस डायरी की इत्तिला मुख्य सचिव व पीडब्लूडी के प्रमुख सचिव रवीन्द्र सिंह को दी। पूरे विभाग में हड़कम्प सा मच गया। विभाग में मची अफरातफरी से घबराए डायरी मालिक ने वकील साहब को डायरी देने के बदले में दो लाख रुपए की पेशकश भी कर डाली। मगर वहीं मामले को तूल पकड़ता देख वकील साहब ने डायरी को लिफाफे में बद कर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेज दिया। जिस डायरी ने पीडब्लूडी के अफसरों व इंजीनियरों की नींद उड़ा दी वह डायरी है आगरा प्रांतीय खंड के अधिशासी अभियंता पीके मित्तल की। अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार गुप्ता ने डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट को बताया कि मित्तल के नाम लिखी डायरी उनको हजरतगंज के जनपथ मार्केट में पड़ी मिली थी। डायरी के कुछ पन्नों पर विभाग के विशेष सचिवों, अधिकारियों व कर्मचारियों से लेकर विभागीय कामकाज के मद में लेन-देन का उल्लेख है। किसी केएनबीजी के उल्लेख में 11 किलो मीटर तथा जिसका खर्च 21 करोड़ रुपए डायरी में दर्ज है और वह प्रमुख अभियंता कार्यालय से सम्बंधित डिवीजन को वापस जाना दर्शाया गया है। इससे डायरी प्रथम दृष्टया महत्वपूर्ण प्रतीत होती है जो रुपयों के अवैध लेन देन से सम्बंधित है। श्री गुप्त ने मुख्य सचिव अनूप मिश्र को लिखे पत्र में कहा है कि ऐसा लगता है कि डायरी में अंकित रुपयों का लेन-देन अवैध तरीके से हुआ है। डायरी में इन्दु प्रकाश सिंह, संजीव, रिजवी, सोनी, वी सिंह, राजेन्द्र सिंह, रमा शंकर चौधरी, आई राय के नाम के सामने रुपयों के लेन-देन का उल्लेख किया गया है। उन्होंने बताया कि इसमें से इष्टदेव राय, हेमंतराज सिंह चौहान व एएम रिजवी विभाग के विशेष सचिव हैं। डायरी में विशेष सचिव इष्टदेव राय के नाम के सामने एक लाख रुपए, विशेष सचिव हेमंत राज सिंह चौहान के नाम के सामने 50 हजार, विशेष सचिव रिजवी के नाम के सामने 25 हजार रुपए समेत संजीव 50 हजार, संतराम 20 हजार रुपए, संतोष 10 हजार रुपए, जसवीर 10 हजार रुपए, सोनी 10 हजार रुपए, वी सिंह 10 हजार रुपए, राजेन्द्र सिंह के नाम के सामने 25 हजार रुपए अंकित है। इस प्रकार डायरी में पीएफएडी बृजेश करके लिखा गया है और उसके सामने 8 हजार रुपए तथा प्यून के सामने 25 हजार रुपए के लेन-देन के विवरण के साथ कुछ ऐसे भी नाम अंकित हैं जो अस्पष्ट हैं और जिनके सामने क्रमश: पांच लाख, दो लाख व कोर्ट क्लर्क राजकुमार के नाम के सामने आठ हजार रुपए दर्शाया गया है। बहरहाल अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार गुप्ता ने डायरी इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को भेज दिया है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि अधिशासी अभियंता पीके मित्तल ने उसे डायरी वापस करने के एवज में दो लाख रुपए देने की पेशकश भी की थी। विभाग के एक क्लर्क राजकुमार ने भी फोन से डायरी वापस करने को कहा तथा यह भी कहा कि आप डायरी नहीं देंगे तो साहब मुझे सस्पेंड कर देंगे। पीडब्लूडी में यह चर्चा है कि डायरी में जिस 21 करोड़ के केएनबीजी का उल्लेख है शायद उसी के यह बंदरबाट की कहानी है। इस पूरे मामले को लेकर डीएनए संवाददाता ने जब विभाग के प्रमुख सचिव रवीन्द्र सिंह के मोबाइल नंबर 9839173644 पर सम्पर्क कर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने न ही फोन उठाया और न ही मैसेज द्वारा सूचित किए जाने के बाद भी कोई उत्तर दिया। इस प्रकार दो विशेष सचिवों क्रमश: इष्टदेव प्रसाद राय और एएम रिजवी ने भी फोन नहीं उठाया।
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