Monday 18 July 2011

मुख्य सचिव के कठघरे में सरकार

छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की नीति में किया संशोधन
कहा : यूपी के गरीब छात्रों को नहीं मिल रहा वजीफा
मुख्यमंत्री के पंसदीदा मुख्य सचिव अनूप मिश्र ही बसपा सरकार के कामकाज पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। श्री मिश्र ने साफ-साफ शब्दों में सरकारी मशीनरी की असफलता उजागर करते हुए कहा है कि गरीब छात्रों को छात्रवृत्ति ही नहीं मिल रही है। गरीबों को सरकारी मदद न मिलने से मुख्य सचिव साहब इतने आहत हैं कि बाकायदा शैक्षिक सत्र 2011-12 में वितरित की जा रही समस्त छात्रवृत्तियों को तय समय में भेजने सम्बंधी संशोधित दिशा-निर्देश भी जारी कर दिया है।

श्री मिश्र की नाराजगी वाजिब भी है। मगर बसपा सरकार की मशीनरी को चुनौती देना कहीं उनके लिए महंगा न पड़ जाय। उन्होंने एक लिखित पत्र प्रमुख सचिव व सचिव बेसिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, समाज कल्याण विभाग, पंचायतीराज विभाग, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के साथ सभी मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को भेजकर तल्ख शब्दों में नाराजगी प्रकट की है। उन्होंने लिखा है कि छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति वितरण प्रणाली की सम्पूर्ण प्रक्रिया का कम्प्यूटरीकरण किया जा चुका है किंतु पिछले वर्षो में यह अनुभव किया जा रहा है कि शासन द्वारा विस्तृत एवं स्पष्ट निर्देशों के बावजूद भी निर्धारित समय सीमा में अनेक शिक्षण संस्थाओं और वहां पढ़ रहे छात्रों से सम्बंधित डाटा विवरण की फीडिंग एवं उनकी अपलोडिंग तक नहीं की गई। इस कारण काफी बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ या तो नहीं मिल सका या काफी विलम्ब से प्राप्त हुआ। छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति के वितरण सम्बंधित नई नीति निर्धारित करते हुए मुख्य सचिव ने अपने नए शासनादेश में कहा है कि अब विभिन्न शैक्षिक विभागों द्वारा अनुसूचिति जाति व जनजाति के छात्रों को देय शुल्क की धनराशि निर्धारित की गई है तथा जिसकी सूचना विभागों द्वारा वेबसाइट पर उपलब्ध करा दी गई है और यह धनराशि सम्बंधित मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थानों के खाते में उपलब्ध कराई जाएगी क्योंकि इस श्रेणी के छात्रों को मुफ्त प्रवेश परीक्षा की सुविधा शासन द्वारा अनुमन्य है। इसी प्रकार अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग एवं सामान्य वर्ग के गरीब अभिभावकों के आश्रित पात्र छात्र-छात्राओं को राजकीय संस्थानों के लिए निर्धारित शुल्क की धनराशि देय होती है जो सीधे सम्बंधित विभागों द्वारा छात्रों के बैंक खातों में उपलब्ध कराई जाएगी। श्री मिश्र ने कहा है कि शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि उन्हीं मान्यता प्राप्त संस्थाओं के मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत छात्रों को देय होगी जिनका विवरण जिले के छात्रवृत्ति के मास्टर डाटा बेस में माध्यमिक शिक्षा, उच्च शिक्षा, प्राविधिक शिक्षा तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा सत्यापित कर अंकित कराया गया होगा। श्री मिश्र ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों को छोड़कर शेष वर्गो के छात्रों की छात्रवृत्ति की प्राथमिकताएं भी निर्धारित करते हुए कहा है कि राजकीय एवं राजकीय सहायता प्राप्त संस्थाओं में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को सर्वप्रथम छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की जाय। शेष संस्थाओं में अध्ययनरत छात्रों की उनके अभिभावकों की आय के आधार पर आरोही क्रम में सूची तैयार की जाय जिससे सबसे निर्धन छात्र को पहले छात्रवृत्ति दी जा सके। उन्होंने अन्य संस्थाओं को इस सुविधा से जोड़ने के लिए 31 अगस्त तक अंतिम तिथि निर्धारित भी कर दी है।छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति की नीति में किया संशोधन

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