Tuesday 3 May 2011

शकुंतला विश्वविद्यालय पर सरकार मेहरबान

आबादी वाले गांव की जमीन भी दी गई विश्वविद्यालय को
71.471 एकड़ जमीन मुफ्त में स्थानान्तरित

प्रदेश सरकार विकलांगों के शैक्षणिक, सामाजिक तथा उनके उत्थान के लिए तो और कोई कारगर कदम भले ही नहीं उठा पा रही हो मगर डॉ. शकुन्तला मिश्रा पुनर्वास विश्वविालय पर जरूर मेहरबानियां बरसा रही है। इस विश्वविद्यालय में विभिन्न श्रेणी के विकलांगजन को उच्च शिक्षा देने के नाम पर न सिर्फ गांव के गांव उजाड़ दिए गए बल्कि विवि की भवन के लिए ग्राम सरोसा-भरोसा एवं सलेमपुर पतौरा की कुल 71.471 एकड़ भूमि को मुफ्त में विकलांग कल्याण विभाग के पक्ष में स्थानान्तरित कर दी गई। यह जानकारी विकलांग कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव द्वारा राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव को लिखे पत्र से उजागर हुई है। मालूम हो कि वर्ष 2007-08 में डॉ. शकुंतला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय की स्थापना हुई थी। लखनऊ स्थित विश्वविालय के भवन को अतिरिक्त भूमि की आवश्यकता को देखते हुए सरोसा-भरोसा एवं ग्राम पतौरा की कुल 71.471 एकड़ भूमि लिए जाने का निर्णय सरकार ने लिया था। इस पूरी जमीन को लखनऊ सदर के तहसीलदार के माध्यम से विवि को उपलब्ध कराया गया। मगर इस भूमि को विकलांग कल्याण विभाग के नाम स्थानान्तरित करने के लिए प्रमुख सचिव शैलेष कृष्ण ने प्रमुख सचिव राजस्व को पत्र लिखा कि इसे बिना पैसे के ही स्थानान्तरित किया जाय। प्रमुख सचिव शैलेष कृष्ण के पत्र के मुताबिक ग्राम सलेमपुर पतौरा की 8.19 हेक्टेयर भूमि तथा ग्राम सरोसा-भरोसा की 20.017 हेक्टेयर भूमि अर्थात कुल 28.936 हेक्टेयर यानि 71.471 एकड़ जमीन विकलांग कल्याण के पक्ष में करने के लिए बाकायदा शासनादेश जारी किया गया। ग्राम सलेमपुर पतौरा स्थित भूमि जो विश्वविालय के प्रयोग में लाई जानी प्रस्तावित है, पर राजस्व अभिलेखों में आबादी दर्ज है। प्रमुख सचिव के पत्र से यह भी उजागर हुआ है कि न सिर्फ आबादी वाले गांवों की जमीन विश्वविद्यालय को दी गई है बल्कि ग्राम सलेमपुर पतौरा स्थित भूमि जो खसरे में उोग विभाग की है उसे भी दे दिया गया। प्रमुख सचिव ने इसके पीछे यह तर्क दिया है कि यह भूमि रिक्त पड़ी है तथा विश्वविालय के लिए उपलब्ध भूमि से सटी हुई है। इसलिए विवि के प्रयोग के लिए उपयोगी है। लखनऊ के जिलाधिकारी स्तर से जो जमीनें विश्वविालय के प्रयोगार्थ प्रस्तावित की गई हैं उनमें यह दिखाने की कोशिश की है कि इनमें ज्यादातर सरकारी जमीनें हैं। इसमें ग्राम सरोसा-भरोसा की खसरा संख्या 1473 की 0.849 हेक्टेयर जमीन शारदा नहर की भी है। यही नहीं खातेदार राजाराम एवं रामू पुत्र प्रताप सिंह निवासी भातू कालोनी ग्राम पारा की 0.501 एकड़ भूमि विश्वविालय के प्रयोगार्थ ले ली गई।

प्रदेश सरकार जिस मनोयोग से इस विश्वविद्यालय के संचालन के लिए हर संभव मदद कर रही है शायद दूसरे विकलांगजन के स्कूलों, जिन्हें वह प्राथमिक स्तर पर शिक्षा देने की जरूरत भी नहीं समझती है। प्रदेशभर के विकलांगजन के बच्चों के लिए खुले बचपन डे केयर सेंटर की चिंता भी सरकार को नहीं है। यहां बच्चों का हालचाल लेने तक कोई अफसर नहीं जाता है। बच्चों के लिए वाहन तक की सुविधा नहीं है। मोहान रोड लखनऊ स्थित राजकीय कौशल विकास केन्द्र में काम करने वाले कर्मचारियों को मार्च महीने का वेतन नहीं मिला है।

2 comments:

  1. काले रंग के कारण अच्छी तरह पढा नही गया बुज़ुर्गों की आँखों का ख्याल रखा करें। शुभकामनायें।

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  2. असुविधा के लिए खेद और शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद.

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