भ्रामक रिश्तेदारियां जोड़ पांच साल से यूपीटीयू में जमे हैं तोमर
पीसीएस अफसर भी नहीं हैं कुलसचिव
पीसीएस अफसर भी नहीं हैं कुलसचिव
यूपीटीयू के कुलसचिव यूएस तोमर की अराजकता इन दिनों सिर चढ़ कर बोल रही है। हर सरकार में मुख्यमंत्री के एक सबसे करीबी अफसर की रिश्तेदारी का भ्रम फैलाकर रौब गांठने वाले तोमर न सिर्फ सत्ता के गलियारों में अपनी धमक बनाए रखते हैं बल्कि प्राविधिक विवि से सम्बद्ध निजी इंजीनियरिंग कालेजों पर भी धौंस दिखाते रहते हैं। इसी धौंस-पट्टी के सहारे वे आजकल आरटीआई के तहत मांगे जानी वाली सूचनाओं को भी नजर अंदाज करने लगे हैं। एमआईटी मुरादाबाद की एक पूर्व छात्रा रही संगीता रानी द्वारा जब वर्ष 2007-08 की उत्तर पुस्तिकाएं दिखाए जाने को कहा तो उन्होंने सभी उत्तर पुस्तिकाएं नष्ट करवा डालीं।
मालूम हो कि यूपीटीयू के कुलसचिव यूएस तोमर की सत्ता में रसूख की भ्रामक खबरें सूचना आयोग में भी चर्चा का विषय बनी हुई हैं। भ्रामक खबरों के मुताबिक तोमर अपने को मुख्यमंत्री मायावती के करीबी व प्रदेश के कैबिनेट सचिव शशांक शेखर का रिश्तेदार बताते हैं। यूपीटीयू के सूत्र बताते हैं कि कुलसचिव साहब सत्ता में पैठ बनाने के लिए इस प्रकार के हथकंडे अपनाते रहते हैं। यह कोई नई बात नहीं है। इसी के बलबूते तोमर सत्ता में हनक पैदा कर पिछले पांच सालों से अधिक समय से यूपीटीयू के कुलसचिव पद पर बैठे हुए हैं। विश्वविालय के सूत्रों का कहना है कि पिछली सपा की सरकार में भी कुलसचिव साहब ने यह भ्रम फैला रखा था कि वे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनीता सिंह के रिश्तेदार हैं। महिला अफसर से रिश्तेदारी की गूंज न सिर्फ यूपीटीयू में अलबत्ता शासन-प्रशासन के गलियारों समेत सभी इंजीनियरिंग कालेजों में थी। इस प्रकार की चर्चा है कि तोमर इसी तथाकथित रसूख के चलते निजी इंजीनियिरिंग कालेजों पर अपना दबदबा बनाए रखते हैं। जानकारी के अनुसार तोमर की कुलसचिव के पद पर तैनाती 2002 में हुई थी। इसके ठीक एक साल बाद उन्हें हटाकर अनिल कुमार दमेले की तैनाती की गई।
मगर यूएस तोमर मानने वाले कहां थे। उन्होंने भ्रम का रागमाला फैलाकर 2005 में प्राविधिक विश्वविालय में दोबारा तीन साल के लिए तैनाती करवा ली। बताया जाता है तब उन्होंने आईएएस अफसर अनीता सिंह से अपनी रिश्तेदारी का भ्रम फैलाकर कुलसचिव के पद पर काबिज हुए थे। प्राविधिक शिक्षा विभाग के सूत्रों के मुताबिक यूएस तोमर की नियुक्ति पर कई सवाल भी खड़े किए गए थे मगर वे नक्कारखाने में तूती की आवाज बन कर ही रह गई। कुलसचिव के पद पर नियुक्त होने वाला व्यक्ति सरकारी राजाज्ञा के प्रस्तर चार के अनुसार पीसीएस संवर्ग से प्रतिनियुक्ति पर भरे जाने का प्राविधान है। सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि तोमर न तो पीसीएस हैं और न ही वित्त विभाग की सहमति से गैर पीसीएस संवर्ग की नियुक्ति विषयक राजाज्ञा में कोई संशोधन ही किया गया था। सबसे चौंकाने वाला तथ्य तो यह भी है कि तोमर के भ्रामक रसूख के चलते ही उन्हें प्राविधिक शिक्षा विभाग के नियंत्रण में आईआईटी स्तर की एक संस्था मान्यवर कांशीराम उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी तथा आईआईएसई पैटर्न पर एक संस्था महामाया यूपी स्टेट इंस्टीट्यूट आफ साइंस ग्रेटर नोएडा की स्थापना एवं निर्माण के नीति निर्धारण के लिए गठित की जाने वाली स्टीयरिंग कमेटी के सहायतार्थ प्रोजेक्ट एक्जीक्यूशन यूनिट के तहत अतिरिक्त प्रोजेक्ट एडमिनिस्ट्रेटर नामित कर दिया गया। इन सारे विवादों के सम्बंध में डीएनए ने जब उनके विभिन्न टेलीफोन नम्बरों क्रमश: 2732199, 9335035187, 9415127780 और 9839226221 पर प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की तो कुलसचिव ने फोन ही नहीं रिसीव किया।
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