Wednesday 23 February 2011

बंटाढार हो रहे पैसों पर कड़ा पहरा

केन्द्र ने लागू न करने पर अनुदान न देने की दी चेतावनी
एक वाउचर करेगा सारी मनमानियों का हिसाब-किताब
पंचायतीराज विभाग में मॉडल एकाउंटिंग सिस्टम लागू

यूपी में बंटाढार हो रहे अरबों रुपयों पर केन्द्र सरकार ने कड़े पहरे का बंदोबस्त कर दिया है। इसकी शुरुआत उसने राज्य की पंचायतीराज संस्थाओं से की है। केन्द्रीय पंचायतीराज विभाग ने प्रदेश की सरकार से साफ-साफ कह दिया है कि 13 वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के अनुसार उसे निष्पादन अनुदान तभी मिलेगा जब वह विभाग में मॉडल एकाउंटिंग सिस्टम लागू करेगी। इस सिस्टम में एक ऐसा बाउचर होगा जिसमें विभागीय योजनाओं की मास्टर फाइल, बैंकों में पंचायतीराज के खाते, खातेवार जमा धनराशि समेत तमाम वित्तीय जानकारियां होंगी ताकि राज्य सरकार के अफसर कोई गड़बड़ी न कर सकें। चूंकि केन्द्र सरकार ने अरबों रुपयों के लिए प्रदेश सरकार के सामने यह शर्त रख दी है तो अब इसे मानना ही पड़ेगा क्यों कि यह चुनावी वर्ष जो है? राज्य सरकार भी जान रही है कि कहना नहीं मानेंगे तो आने वाला धन भी हाथ नहीं लगेगा। दरअसल केन्द्र सरकार ने मॉडल एकाउंटिंग सिस्टम एवं प्रिया सॉफ्ट की शर्त रखकर अपने पैसों पर कड़ा पहरा बैठा दिया है ताकि राज्य सरकार के अफसर पैसों की मनमानी न कर सकें। क्या है मॉडल एकाउंट सिस्टम : केन्द्र ने इसके तहत प्रिया सॉफ्ट नामक एक यूजर फ्रेंडली सॉफ्टवेयर तैयार कराया है जिसके द्वारा पंचायतीराज संस्थाओं के लेखों को स्पष्ट, शुद्ध एवं त्वरित करने के साथ-साथ समय-समय पर शासन, महालेखाकार एवं भारत सरकार द्वारा साविधिक रिपोर्ट एवं र्टिन्स तथा अन्य वित्तीय सूचनाएं मात्र एक बाउचर में प्राप्त की जा सकेंगी। इससे सारे के सारे लेखे को शुद्ध किया जा सकेगा तथा इसमें पारदर्शिता लाई जा सकेगी। राज्य सरकार के अफसरों की मनमानी को रोका जा सकेगा। केन्द्र सरकार के सूत्रों के मुताबिक पंचायतों को विश्वसनीय बनाने के लिए प्रिया सॉफ्ट एक वेब आधारित एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है। जिसके सम्बंध में राष्ट्रीय व प्रदेश में कार्यशालाएं व गोष्ठियां आयोजित कर इसमें सुझाव मांगे गए थे। इसे एनआईसी दिल्ली द्वारा तैयार किया गया है। प्रिया सॉफ्टवेयर के माध्यम से तैयार किए जाने वाले लेखों से प्रदेश की 51,914 ग्राम पंचायतें, 821 क्षेत्र पंचायतें एवं 72 जिला पंचायतों में विभिन्न योजनाओं को लागू करने, उनका अनुश्रवण व पर्यवेक्षण के द्वारा उच्चकोटि की जानकारी मिल सकेगी। यही नहीं सार्वजनिक डोमेन पर डेटा उपलब्ध होने पर सूचना के अधिकार के तहत आम आदमी भी इसे देख सकेगा। देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने इसे हरी झंडी दिखाते हुए कहा है कि यह सॉफ्टवेयर अत्यंत उपयोगी है।

इस साफ्टवेयर में पंचायतीराज संस्थाओं को योजनाओं की मास्टर फाइल, जिन बैंकों में पंचायतीराज संस्थाओं के खाते संचालित हैं, प्रत्येक बैंक में योजना एवं खातेवार जमा धनराशि का पहली अप्रैल 2010 से बचा पैसा, कर्मचारियों एवं विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं को भुगतान किए गए अग्रिम धन का विवरण तथा बैंकवार चेक बुक का विवरण देना होगा। मगर संभव है कि राज्य सरकार के अफसर यहां इन प्रमुख प्रविष्टियों का डेटा उपलब्ध कराने में गड़बड़ी करें अन्यथा केन्द्र सरकार इन तकनीकी प्राविधानों को लागू करने में सफल हो गई तो भविष्य में वह अरबों रुपयों के खर्च का लेखा-जोखा का कारगर उपाय कर ले जाएगी। पंचायतीराज निदेशक ने समस्त जिला पंचायतराज अधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि माडल एकाउंटिंग सिस्टम व प्रिया सॉफ्ट को 15 जनवरी 2011 से जिला पंचायतों में, 30 जनवरी से क्षेत्र पंचायतों में तथा 15 फरवरी से ग्राम पंचायतों में लागू किए जाने का शासनादेश निर्गत कर दिया है।

1 comment:

  1. बहुत अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद|

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