मामला खुलने पर अफसरों ने की लीपापोती
18 दलितों में से 15 महिलाओं की उम्र घटाने के आरोप
18 दलितों में से 15 महिलाओं की उम्र घटाने के आरोप
बसपा सरकार में ही दलित एजेंडे की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। दलित उत्पीड़न की शिकायतों को अफसर दबाने में जुटे हैं ताकि बात मुख्यमंत्री मायावती और उनके राजनीतिक विरोधियों तक न पहुंच सके। लखनऊ स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र उतरठिया में वृद्धावस्था पेंशन की खातिर उम्र सत्यापित कराने गए दलित के साथ 25 रुपए रिश्वत के लिए अभद्रता की गई बल्कि फार्मासिस्ट ने दलितों की उम्र घटाने की धमकी दे डाली। हद तो तब हो गई जब स्वास्थ्य केन्द्र के डाक्टर ने 18 बुजुर्ग दलितों की उम्र कम कर दिया। पीड़ित दलित ने जब इसकी शिकायत प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य से की तो पूरे स्वास्थ्य महकमें में हड़कम्प मच गया तथा अफसर मामले की लीपापोती में जुट गए।
दलितों की उम्र सत्यापन में रिश्वत लेने और 25 रुपए के लिए दलित के साथ अभद्रता का मामला आरटीआई के जरिए सामने आया है। लखनऊ निवासी दलित दर्शन रावत ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को दिए आरटीआई के तहत शिकायती पत्र में कहा कि मैं 18 बुजुर्ग दलितों की उम्र सत्यापन के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र उतरठिया गया। अस्पताल में मौजूद फार्मासिस्ट ने 25 रुपए रिश्वत के लिए अभद्रता की। रुपए न देने पर नेतागीरी निकालने और उम्र घटाने की धमकी दी। यही नहीं अस्पताल के डाक्टर ने 18 बुजुर्ग दलितों क्रमश : जगराना रावत, राम केवल रावत, जुगनू रावत, रामावती रावत, श्रीमती कुसमा रावत, अयोध्या रावत, नन्हकई रावत, श्रीमती फुलवसा रावत, श्रीमती शारदा रावत, श्रीमती मैका रावत, श्रीमती शांति रावत, श्रीमती कलावती रावत, श्रीमती चंचल रावत, श्रीमती रूपरानी रावत, श्रीमती सुदामा रावत, श्रीमती मैका रावत, श्रीमती रामवती रावत तथा राजाराम रावत की उम्र कम दर्शा दिया। प्रमुख सचिव से शिकायत पर पूरे विभाग में हड़कम्प मच गया। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सरोजनीनगर के चिकित्सा अधीक्षक से लेकर सीएमओ तथा सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तक के अफसर लीपापोती में जुट गए। आनन-फानन में जांच आख्या तलब की गई। सरोजनीनगर के चिकित्सा अधीक्षक ने सीएमओ को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा कि अभद्रता के आरोपी फार्मास्टि व शिकायतकर्ता दर्शन रावत समेत श्रीमती मैका रावत तथा शांति रावत को बुलाया गया। फार्मास्टि राम नरेश ने बताया कि उम्र सत्यापन के लिए कोई धन नहीं मांगा गया, न उम्र घटाया गया तथा न ही अभद्रता की गई। जबकि दलित दर्शन रावत का कहना है कि उसने इस तरह का कोई बयान नहीं दिया है। लीपापोती में जुटे अफसर अपने ऊपर के अधिकारियों को गलत रिपोर्ट करते रहे। लखनऊ के सीएमओ ने सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को पत्र लिख कर कहा कि इस घटना की जांच सरोजनीनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अधीक्षक द्वारा तीन चिकित्सकों डा. एके मिश्रा, डा. एसके वर्मा और डा. शिप्रा की संयुक्त टीम से कराई गई। जांच में 18 महिलाओं को बुलाया गया जिसमें दो महिलाएं ही उपस्थित हुईं। महिलाओं की उम्र 60 वर्ष से कम पाई गई। दर्शन यादव ने भी लिखकर बयान दिया है कि फार्मासिस्ट द्वारा उनके साथ कोई अभद्र व्यवहार नहीं किया गया है। अंत में चिकित्सा अनुभाग-सात के अनुसचिव जितेन्द्र राम त्रिपाठी ने तीन फरवरी को पूरे विवाद का पटाक्षेप करते हुए कहा कि चूंकि दर्शन रावत ने लिखकर कहा कि उनके साथ न तो अभद्रता की गई और न ही 25 रुपए रिश्वत मांगे गए। मगर इसके ठीक विपरीत दलित का कहना है कि उसने इस प्रकार कोई बयान नहीं दिया है।
यह भी खूब रही...लेकिन आपने यह नहीं बताया की गलती किसकी है? दलितों की उम्र का सत्यापन करने के लिए रिश्वत लेने वाले की या झोल फैलानेवाले की?
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