मैडम की मोर्चेबंदी करने निकले छोटे चौधरी आधा दर्जन दलों को लेकर बनाया नया मंच
यूपी में आसन्न विधानसभा चुनाव देख अब फिर से सियासत के मंच पर गठबंधन के सरपंच जमा होने लगे हैं। गठबंधन के नए और पुराने सरपंच एक दूसरे के हाथ में हाथ डालकर सूबे में अपनी-अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को खूंटी पर टांग देने के लिए तैयार हो गए। राजनीति की एक डाल से दूसरे डाल पर उछल-कूद में महारत हासिल कर चुके छोटे चौधरी अजित सिंह ने बुधवार को यहां तक कह डाला कि सिर्फ एक गुंजाइश यह नहीं है कि अब मायावती को बचाया जाय बाकी हर हथकंडे के लिए वे तैयार होकर आए हैं।
छोटे चौधरी ही क्यों? पीस पार्टी के डॉ. अय्यूब, इंडियन जस्टिस पार्टी के डॉ. उदित राज, भारतीय समाज पार्टी के ओम प्रकाश राजभर, भारतीय लोकहित पार्टी, अति पिछड़ा महासंघ, जनवादी पार्टी व उदय मंच के नेता लखनऊ के प्रेस क्लब में एक नया मंच लेकर पत्रकारों के सामने मुखातिब हुए। छोटे चौधरी समेत अपने-अपने गोल के हर चौधरियों ने कहा कि न तो उनमें कोई फासला है और न ही उनके कारवां में शामिल होने के लिए दूसरों से कोई फासला बनाया जाएगा। रालोद मुखिया को कांग्रेस से मुंह की खाने के बाद भी उन्हें न तो सोनिया की शरण में जाने से गुरेज है और न ही अब सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से हाथ मिलाने में किसी प्रकार की कोई दिक्कत है। उधर कल तक मुलायम से किनारा कसने वाले और अमर सिंह के साथ गलबहिया करने वाले पीस पार्टी के नेता अय्यूब अब सपा मुखिया से बातचीत करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, अमर सिंह पहले अपनी पार्टी बनाएं बाद में बात होगी। कल्याण सिंह से निकट भविष्य में कोई सहयोग लेने की इच्छा नहीं है। सपा से बात करने के लिए हमारे रास्ते खुले हैं। दरअसल हर चुनाव के ऐन वक्त पर सभी छोटे चौधरियों का जमावड़ा अब आम बात हो गई है। पिछले चुनावों में इनका हश्र बहुत बुरा रहा है। राजनाथ सिंह ने भी अजित सिंह, सोनेलाल पटेल, ओमप्रकाश राजभर समेत तमाम वोट काटने वाले नेताओं को भाजपा का शंख बजाने के लिए एक साथ जोड़ा था मगर सबके सब डपोरशंख ही साबित हुए। अबकी बार अजित सिंह माया मेमसाहब के किले की मोर्चेबंदी करने निकले हैं। उन्होंने अपने मोर्चे के आकार और प्रकार को समझाते हुए कहा कि एक साथ आए सभी दल मकसद लेकर आए हैं। हमने एक मंच बना लिया है। अगले हफ्ते बैठकर सारी व्यूह रचना कर लेंगे। जो समझौता हम-सबने मिलकर बनाया है उसे व्यापक बनाएंगे। उसी के हिसाब से सीटें भी तय की जाएंगी। अगले हफ्ते पूरा कार्यक्रम बना लिया जाएगा। वैचारिक वैमनस्यता पर वे बोले कि गठबंधन में राजनीतिक इच्छाओं का समायोजन कर लिया जाएगा। कई गठबंधनों के अनुभव के आधार पर वह यह कहने से भी नहीं चूके कि साथ आए तमाम राजनीतिक इच्छाओं का नेतृत्व करना लगभग टेढ़ी खीर के समान है। यहां तो मैन मैनेजमेंट करना पड़ता है। अंत में बड़े दलों सपा या कांग्रेस के साथ गठबंधन के सवाल पर छोटे चौधरी ने कहा कि अभी किसी से गंभीर वार्ता नहीं हुई है। उन्होंने इशारा किया कि पहले अपना मोर्चा तो गंभीर कर लें फिर गंभीरता से उनसे गांठ बांधने की सोंचे।
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