सेवानिवृत्ति लाभ के 10 लाख में से 10 परसेंट मांगी रिश्वत
मरणासन्न कर्मचारी को भी नहीं बख्शा
मरणासन्न कर्मचारी को भी नहीं बख्शा
यूपी की राजधानी लखनऊ में रिश्वत और घूस लेने की घटनाएं आमतौर पर रोजमर्रा की हैं। घूसखोर अफसर हों या बाबू उन्हें सिर्फ किसी भी सूरत में घूस चाहिए ही चाहिए। सामने वाला व्यक्ति चाहे मरणासन्न ही क्यों न हो? खासतौर पर कुछेक विभागों में तो ऐसे बाबू हैं जिन्हें रिश्वत के सामने कुछ सूझता ही नहीं है। लखनऊ कलक्ट्रेट भी उसी में से एक है। ऐसे ही ट्रेजरी के एक बाबू से पीडब्लूडी के रिटायर कर्मचारी का पाला पड़ गया। कर्मचारी बिलकुल मरणासन्न हालत में है। उसे अपनी सेवानिवृत्त व अन्य लाभ के 10 लाख लेने के लिए लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं। मगर टस से मश नहीं हो रहे बाबू का खुलेआम कहना है कि जब तक 10 लाख में से 10 परसेंट यानि एक लाख घूस नहीं दोगे तब तक ये पैसे तुम्हें कदापि मिलने वाले नहीं हैं।
आइए देखते हैं लखनऊ ट्रेजरी के घूसखोर बाबू हरीराम की कथा और पीडब्लूडी के सेवानिवृत्त कर्मचारी जियाउल हक की व्यथा : पार्किंसन रोग से ग्रसित कर्मचारी हक इन दिनों मरणासन्न दशा में हैं। वे नजरबाग के क्लासिक अपार्टमेंट में रहते हैं। वह चलने-फिरने में असमर्थ हैं। याददाश्त भी लगभग जा चुकी है। उनके शरीर के नर्वस सिस्टम डाउन हो चुके हैं। जियाउल को उम्मीद बंधी थी कि सेवानिवृत्त के 10 लाख मिल जाएंगे तो वे इलाज भी करा लेंगे और उनकी बाकी की जिंदगी कट जाएगी। मगर उन्हें नहीं पता था कि उनका पाला ऐसे बाबू से पड़ जाएगा कि वह उनकी जिंदगी ही नरक बना देगा।
ट्रेजरी के बाबू हरीराम ने सेवानिवृत्त कर्मचारी के लाख भाग-दौड़ करने के बाद भी उसका पैसा नहीं दिया। बाबू के हेकड़ी का आलम देखिए कि उसने कर्मचारी के 10 लाख रुपयों को पांच-पांच बार कोई न कोई आपत्ति लगाकर वापस कर दिया। कर्मचारी से साफ-साफ कह दिया कि जब तक 10 लाख का 10 परसेंट यानि एक लाख रुपए बतौर घूस के नहीं दोगे तो तुम्हें यह रकम मिलने वाली नहीं है। रिटायर्ड कर्मचारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भी उनके सभी देयों को देने के लिए पीडब्लूडी को आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के क्रम में विभाग द्वारा 10 लाख रुपए आदर्श कोषागार को भेज भी दिया गया। मगर बाबू किसी भी हालत में पैसा देने से इनकार कर दिया। तमाम आपत्तियां लगाकर पैसे को वापस करता रहा। सेवानिवृत्त कर्मचारी ने अपने अधिवक्ता टीआर गुप्ता के जरिए जब बाबू से उसकी शिकायत भ्रष्टाचार निवारण संगठन से करने की चेतावनी दी तो उसने घूस की राशि एक लाख रुपए से घटाकर 60 हजार कर दिया।
किसी भी तरह सुनवाई न होते देख जियाउल हक ने बाबू हरीराम की शिकायत प्रदेश के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव वित्त, अल्पसंख्यक आयोग व जिलाधिकारी से की है। बाबू द्वारा रिटायर्ड कर्मचारी से एक लाख रुपए रिश्वत मांगे जाने पर डीएनए ने मुख्य कोषाधिकारी प्रिय रंजन से पूछा तो उन्होंने बताया कि बाबू को उसके पद से हटा दिया गया है और पूरे मामले की जांच कराई जा रही है।
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