Sunday 4 September 2011

बेकाबू हैं एलडीए के करामाती बाबू

आश्रयहीनों से भी किया खिलवाड़
एक-एक मकान तीन-चार लोगों को आवंटित

भ्रष्ट प्राधिकरणों में से एक लखनऊ विकास प्राधिकरण गरीबों को भी बलि का बकरा बनाने से नहीं चूकता है। एलडीए में कुंडली मारे बैठे बाबुओं की तो पूछिए ही नहीं। बड़े-बड़े तेज-तर्रार अफसर आए और चले गए मगर बाबुओं का धेला भी बिगाड़ नहीं पाए। यहां अफसर वही करता है जो बाबू उसे करने के लिए कहता है। लिहाजा वह गरीब हो या मालदार हरेक को बगैर चप्पल घिसे एलडीए की छत मुहैया नहीं होती है और किसी को तो मिलती भी नहीं है। किसी-किसी को छप्पर फाड़कर मिल जाता है। यह वही एलडीए है जहां करामाती बाबू और अफसर एक-एक मकान को दो-दो, तीन-तीन और चार-चार लोगों को आवंटित कर देते हैं। आश्रयहीन भवनों के निर्माण में भी अफसरों ने बाबुओं की मिलीभगत से गरीबों और झुग्गी-झोपड़ीवासियों की गरीबी से मजाक उड़ाने में कोई कोताही नहीं बरती है।

आरटीआई के जरिए एलडीए में व्याप्त भ्रष्टाचार और धांधली का मामला एक बार फिर उजागर हुआ है। अधिवक्ता एसपी मिश्र ने सूचना का कानून के माध्यम से एलडीए द्वारा आश्रयहीन लोगों के लिए बनाए गए मकानों के बारे में सूचनाएं मांगी थी। एलडीए ने जो सूचना शारदानगर एवं जानकीपुरम में बनाई गई कालोनी के बारे में उपलब्ध कराई है, वह बेहद चौकाने वाली है। इससे भी बड़ी दिलचस्प बात तो यह है कि सूचना देने के साथ-साथ ही एलडीए ने बड़ी ईमानदारी भी बरतने की कोशिश की है। सम्पत्ति अधिकारी गजेन्द्र कुमार ने अपने जवाब में बड़े ही साफगोई से लिखा है कि भविष्य में यदि कोई आवंटी आश्रयहीन भवन के लिए अपात्र पाया जाता है तो प्राधिकरण द्वारा नियमानुसार आवंटन निरस्त किए जाने की कार्रवाई करेगा। गौरतलब है कि 2001-02 में बनाई गई कालोनी में पिछले 10 सालों से अवैध रह रहे लोगों की पड़ताल एलडीए इसलिए नहीं करता कि वहां बैठे अफसरों और बाबुओं ने ही उसे रहने की इजाजत दे रखी है। अधिवक्ता एसपी मिश्र बताते हैं कि यह सब मात्र एकखेल है। इस खेल में अफसर और बाबू पारंगत हैं। उनका कोई कुछ बिगाड़ भी नहीं सकता है।

आश्रयहीनों के लिए शारदानगर के रक्षा खंड व अन्य खंडों में 50 से ज्यादा ऐसे मकान होंगे जिन्हें तीन-तीन और दो-दो लोगों को आवंटित कर दिया गया है। तीनों आवंटियों से पैसे भी वसूले गए और सबसे बड़ी तो यह है इस प्रकार झमेले वाले मकानों में कोई चौथा आदमी रह रहा है। श्री मिश्र को मिली मकानों की सूची के मुताबिक करीब 50 से ज्यादा मकान तो ऐसे हैं जिनके नाम मकान एलॉट हुआ उसे मिला ही नहीं उस मकान का किराया एलडीए का बाबू वसूल कर अपनी जेब में डाल रहा है। रक्षा खंड के ई 393, ई 406 ए, एफ-8/571, एफ-8/472, 473, 474 और 475 समेत 50 से अधिक मकान हैं जो मिसिंग में हैं। ई-394 ए, ई-408, ई-419, ई-420, ई-445, ई-476, रुचि खंड में 1/333, 1/336, 1/737, 1/747, 1/827, 1/828, 1/835, 1/852, 54, 86, 99 और 900, रजनी खंड में 6/ 239, 7/404 और 409 नंबर वाले मकानों को दो-दो लोगों को आवंटित कर दिया गया है। इसी प्रकार रुचि खंड में 1/299, 3/358 समेत कई मकानों को तीन-तीन लोगों को आवंटित कर दिया गया है। ठीक इसी प्रकार रक्षा खंड में मकान नंबर 1/924 को चार-चार लोगों को दे दिया गया है। एलडीए के बाबुओं की बड़ी करामात तो देखिए कि आठ मकान ऐसे हैं जिसका भवन ही नहीं नहीं बना और नम्बर भी एलॉट कर दिया। कई ऐसे भी मकान हैं जो किसी को भी नहीं मिले हैं। पता यह भी चला है कि वहां या तो बाबू या किसी अफसर का जानने वाला रह रहा है।

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