Wednesday, 7 September 2011

अवधपाल की ऐंठ बरकरार

अवधपाल के खिलाफ कार्रवाई के लिए समय मांग रही सरकार : लोकायुक्त
कहा : कम्पेल्ड बाई द ऑनरेबल चीफ मिनिस्टर फॉर सबमिटिंग रेजिग्नेशन

लखनऊ। मंत्री पद छिनने से नाराज अवध पाल सिंह यादव की ऐंठ अभी भी बरकरार है। अब तो वे मुख्यमंत्री मायावती को भी हेकड़ी दिखा रहे हैं। कह रहे हैं कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है। लगता है कि अवधपाल की दबंगई से बसपा सरकार भी डर गई है। इसीलिए सरकार की मुखिया भ्रष्टाचार में आरोपित मंत्री के खिलाफ और कोई कार्रवाई करने के लिए लोकायुक्त से छह महीने का समय मांग रही हैं।

लोकायुक्त की जांच में दोषी पाए गए पशुधन एवं दुग्ध विकास राज्य मंत्री अवध पाल सिंह यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में एक याचिका भी दायर कर दी है। श्री यादव के वकील ओपी श्रीवास्तव द्वारा अपने विरोधी पक्ष डॉ. सुबोध यादव को दिए रिट नोटिस में साफ-साफ कहा है कि उन्हें मंत्रीपद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है। इसका सीधा और साफ मतलब है कि वे बसपानेत्री और मुख्यमंत्री मायावती के फैसले को चुनौती देने की भी जुर्रत कर रहे हैं। अवधपाल के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले डॉ. सुबोध यादव का कहना है कि रिट नोटिस में पूर्व मंत्री ने कोर्ट से लोकायुक्त की सिफारिश पर कोई कार्रवाई न किए जाने की प्रार्थना की है। लिहाजा सरकार को भेजी लोकायुक्त की सिफारिश निरस्त कर दी जाय। कुल मिलाकर अवधपाल न सिर्फ बसपानेत्री की राजनीतिक मजबूरियों का फायदा उठाकर दोबारा मंत्रिपद पर काबिज होने के लिए दबाव बनाने की फिराक में हैं बल्कि दूसरी तरफ वे बसपा की उन्हीं राजनीतिक लाचारियों के चलते मुख्यमंत्री को अपनी हेकड़ी भी दिखा रहे हैं। शायद इसलिए भी राज्य सरकार मंत्रीपद छीनने के अलावा अवधपाल के खिलाफ और कोई कानूनी कार्रवाई करने से आनाकानी कर रही है।

प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके मेहरोत्रा ने डेली न्यूज ऐक्टिविस्ट को बताया कि पशुधन एवं दुग्ध विकास राज्यमंत्री पद से हटाए गए अवधपाल सिंह के खिलाफ राज्य सरकार कार्रवाई करने के लिए छह माह का समय मांग रही है। इससे तो सरकारी बेबसी साफ-साफ नजर आती है।

लोकायुक्त की जांच में दोषी साबित हुए अवधपाल को सिर्फ मंत्रीपद से हटाकर सरकार एक तरफ अपनी इज्जत बचाने में जुटी है तो दूसरी तरफ अपने भ्रष्ट मंत्री के खिलाफ कोई कार्रवाई न कर उसके बचाव का भी नाटक कर रही है। मगर जिस अवध पाल के भ्रष्ट कारनामों पर बसपा सरकार पर्दा डालने में लगी है वही सरकार और सरकार की मुखिया के खिलाफ मूंछ ऐंठ कर ताल ठोंक रहे हैं कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया वरन उनको इस्तीफे के लिए मजबूर किया गया।

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