Tuesday 20 September 2011

भ्रष्टों को सेवा विस्तार का तोहफा!


पीडब्लूडी में रिटायर होने के बाद भी मिलता है वेतन

पीडब्लूडी में इंजीनियर रिटायर होने के बाद भी सरकारी वेतन पाते हैं। भ्रष्टाचार में आरोपित अफसरों को सेवा विस्तार देकर इनाम दिया जाता है। मंत्री और प्रमुख सचिव की एक प्रमुख अभियंता पर इतनी कृपा बरसी कि उसके रिटायर होने के तुरंत बाद तीन सेवा विस्तार व चौथी दफे संविदा पर रख उसके भ्रष्ट अनुभवों का फायदा उठाया गया। अब भ्रष्टाचार में आरोपित विधि अधिकारियों को सेवा विस्तार का तोहफा दिया जा रहा है।

मंत्री नसीमुद्दीन और प्रमुख सचिव रवीन्द्र सिंह को तकनीकी रूप से मदद करने वाले सेवा विस्तार के हकदार बताए जाते हैं। पीडब्लूडी के रिटायर्ड प्रमुख अभियंता टी. राम को ही देख लीजिए, उनके गुड वर्क से मंत्री और प्रमुख सचिव इतने प्रभावित हुए कि रिटायर होने के बाद पहली बार दो साल, दूसरी बार छह महीने, फिर तीन महीने और चौथी दफे नहीं कुछ समझ आया तो संविदा पर ही रख दिया। टी. राम ने भी इस परम्परा को आगे बखूबी बढ़ाया। उन्होंने 28 फरवरी 2011 को विधि अधिकारी पद से रिटायर हो रहे जेपी यादव को छह महीने के अनुबंध के आधार पर सेवा विस्तार दे दिया। श्री यादव 30 सितंबर के दिन सेवानिवृत्त होने वाले थे कि टी. राम के पदचिन्हों पर चल रहे प्रमुख अभियंता यदुनंदन प्रसाद यादव ने उन्हें दूसरी बार सेवा विस्तार दे दिया।

पीडब्लूडी में इस प्रकार के खेल को खत्म करने के लिए अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार गुप्ता ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव से दो विधि अधिकारियों को हटाए जाने की मांग की है। श्री गुप्ता ने कहा है कि दो विधि अधिकारी पिछले 10 वर्षो से लखनऊ में ही कार्यरत हैं। इनका वेतनमान तो अवर अभियंता से भी अधिक है। इन दोनों द्वारा 20-20 वर्षो से अधिक समय तक की अनेकों कोर्ट में चल रही याचिकाओं में प्रतिशपथ पत्र तक दाखिल नहीं किया है। जबकि प्रत्येक मास वसूली करने के लिए न्यायालय के मुकदमों की मासिक बैठक आयोजित होती है। दोनों ही विधि अधिकारियों द्वारा याचिकाकर्ता की याचिका संख्या 8535 एसएस 2005 वशिष्ट नारायन उपाध्याय बनाम यूपी सरकार व अन्य मामले में जिसमें उच्च न्यायालय ने 23 दिसंबर 2005 को छह सप्ताह में शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया था, पांच वर्षो तक शपथपत्र नहीं दाखिल किया, याची को कोर्ट के आदेश की आड़ में 10 लाख 45 हजार 65 रुपए का फायदा करा दिया। शासन द्वारा विजलेंस जांच भी चल रही है।

भ्रष्टाचार का खेल यहीं तक सीमित नहीं है। यहां यह खेल पुराना है। टीआर गुप्ता बताते हैं कि विभाग के अवर अभियंता इकबाल सिंह व कृष्णमोहन 31 जुलाई 2004 को सेवानिवृत्त हो गए थे। इसके बावजूद दोनों 31 जुलाई 2006 तक न सिर्फ वेतन प्राप्त करते रहे बल्कि अन्य सरकारी सेवाओं का भी पूरा लाभ उठाया। फिर सेवानिवृत्त दिखाकर पेंशन लेने लगे। ठीक इसी तरह निर्माण निगम के सेवानिवृत्त अवर अभियंता वशिष्ठ नारायण उपाध्याय और विजय सिंह वर्मा ने रिटायर होने के दो साल बाद तक वेतन व सरकारी सुविधाओं का फायदा उठाया। विभाग में नियम विरुद्ध सेवा विस्तार व विधि अधिकारियों द्वारा की जा रही वित्तीय अनियमितताओं के बारे में डीएनए ने प्रमुख सचिव रवीन्द्र सिंह से उनके मोबाइल नंबर 9839173644 पर प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।

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