Thursday, 16 June 2011

सपना ही रह गए पंचायत सचिवालय


मुख्यमंत्री का हुक्म टांय-टांय फिस्स
31 मई तक चालू होने थे पंचायत सचिवालय

आइए देखिए चुनावी साल में पंचायत सचिवालयों का सपना। सूबे का निजाम पंचायत सचिवालय शुरू करने को लेकर सिर्फ शोशेबाजी में जुटा है। सरकारी हुक्मरान भी कागजी कसरत कर रहे हैं। दावे किए गए थे कि 31 मई 2011 तक पंचायत सचिवालय काम करना शुरू कर देंगे। मगर अभी तक मुख्यमंत्री के पंचायत सचिवालय हवा में ही गोते लगा रहे हैं। बसपा नेत्री मायावती ने एलान किया था कि प्रथम चरण में पांच हजार से अधिक जनसंख्या वाली ग्राम पंचायतों में पंचायत सचिवालय 2012 तक स्थापित कर दिए जाएंगे। जिस तरह से सरकारी मशीनरी मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट पर एक सूत्रीय तरीके से काम कर रही है उससे तो नहीं लगता कि 2024 तक भी ये सचिवालय बनकर तैयार हो पाएंगे।
मुख्य सचिव अनूप मिश्र ने 29 अप्रैल 2011 को एक चिठ्ठी सभी जिलाधिकारियों को भेजी थी कि मुख्यमंत्री मायावती ने पांच हजार से अधिक जनसंख्या वाली ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत सचिवालय बनाने की घोषणा की है। 2011 में चार महीने बीत जाने के बाद सरकारी तंत्र के मुखिया को याद आया है कि मुख्यमंत्री ने यह भी कोई घोषणा की है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है इस दिशा में सरकारी पहल कितनी तत्परता के साथ हो रही होगी। मालूम हो कि मुख्य सचिव को यह तब याद आया जब पंचायतीराज विभाग के अफसरों ने उनके सामने फाइल रखी, नहीं तो उन्हें यह जानकारी भी नहीं थी। लगता है कि मुख्य सचिव साहब को गांवों की दुर्दशा का ज्ञान भी नहीं है। नीचे के अफसर फाइलों में जो दर्ज कर सामने पेश कर देते हैं वे उन्हीं पर मुहर लगा देते हैं। सरकार जो पंचायत सचिवालय बनाने का सब्जबाग दिखा रही है उसमें असली तमाशा सिर्फ अफसरों का है। यूपी में ऐसी कौन सी आदर्श ग्राम पंचायत है जहां एएनएम केंद्र के साथ पुरुष स्वास्थ्य कर्मी, आशा, ट्यूबेल ऑपरेटर, किसान सहायक, पुश चिकित्सक, पुशधन प्रसार कर्मी, सींचपाल, बोरिंग मैकेनिक, विुत लाइनमैन व ग्राम चौकीदार हैं। सरकार ने लाखों की संख्या में सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति की थी। हालत यह है कि किसी एक भी ग्राम पंचायत में शायद ही कोई सफाई कर्मचारी सफाई करने जाता हो। वे सिर्फ ग्राम प्रधान के दरवाजे की सफाई कर रहे हैं। मुख्य सचिव को ग्राम पंचायत सचिवालय का जो खाका पंचायतीराज विभाग के अफसरों ने पेश किया है इससे वे खुश तो जरूर होंगे कि ये कितने काबिल अधिकारी हैं। मगर यह खाका सिर्फ कागजों पर ही कसरत करेगा या जमीन पर भी दिखाई देगा। जिस तरह सरकारी तैयारियां चल रही हैं उससे तो यही लगता है कि 31 मई 2011 क्या ऐसी कई तिथियां गुजर जाएंगी तथा सचिवालयों का सपना सिर्फ सपना ही रह जाएगा।
 

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